Bihar Flood: भागलपुर जिले के सबौर प्रखंड में हर साल की तरह इस बार भी गंगा का कहर देखने को मिल रहा है. सबौर प्रखंड के ग्राम पंचायत बरारी का मीराचक गांव, इंजीनियरिंग कॉलेज,बाबूपुर, रजंदीपुर,बगडेर,घोषपुर, इंग्लिश,फरका,मसाड़ू, चायचक,शंकरपुर गांव हर साल बाढ़ की मार को झेलता है. गंगा का जलस्तर बढ़ा तो गंगा किनारे बसे ग्रामीणों में भय का माहौल है.
सबौर में बाढ़ का खतरा, फिर से पलायन की दिख रही मजबूरी
सबौर प्रखंड के इन गांवों के लोगों को करीब दो महीने तक अपने घर को बचाने की मजबूरी, अपने परिवार का भोजन प्रबंध करना,इसके साथ-साथ पशु चारा भी जानवर के लिए जुटाने के लिए मशक्कत करना पड़ता है. घर के चारो तरफ पानी घिरा रहता है जिससेआने-जाने मे भी असुविधा होती है. इसके साथ-साथ पशुओं का चारा भी काफी मुश्किल से जुगाड़ हो पाता है.
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नाव के सहारे आने-जाने की मजबूरी
रजंदीपुर और संत नगर के ग्रामीणों को आने जाने के लिए नाव का ही एक सहारा होता है. इन सभी ग्रामीणों की मांग भी लंबे दिनो से चली आ रही है कि बरारी से लेकर शंकरपुर तक रिंग बांध बनाया जाये ताकि हर साल बाढ़ की मार को नही झेलना पड़े.
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योजना को भी निगल रही गंगा
कटाव से बचाव के लिए सरकार द्वारा योजना जारी करके टेंडर भी कर दिया गया. काम भी शुरू हो गया. लेकिन यह काम भी बाढ़ के कटाव से बचाने में सफल नहीं हो पा रहा है. ग्रामीणों की शिकायत है कि ठेकेदार के द्वारा मसाड़ू चायचक में जो बोरे में बालू भरकर रखवाया गया है वह व्यर्थ चला गया. ग्रामीणों ने कहा कि कटाव बहुत तेजी से हो रहा है और बचाव के लिए दिये गये बालू के बोरी भी गंगा की तेज धार में बह गयी.
जगकर रात काटने की मजबूरी
ग्रामीणों में भय है और रात भर जगकर वो काट रहे हैं. उन्हें फिर एकबार बाढ़ की चिंता सताने लगी है. प्रशासनिक अधिकारियो की टीम इस बाढ़ कटाव वाले क्षेत्र मे लगातार निगरानी कर रही है.बाढ़ कटाव से बचाव के लिये आवश्यक दिशा निर्देश भी दे रहे हैं. मजदूरों को काम पर लगाया जा रहा है.
गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा
कहलगांव में गंगा नदी के साथ-साथ इससे जुड़ी सहायक नदियों के जलस्तर में तेजी से वृद्धि होने लगी है. चौर एवं समतली इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैलने लगा है. केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंगा के जलस्तर में अभी भी प्रति घंटा एक सेंटीमीटर की वृद्धि हो रही है. शुक्रवार की संध्या छह बजे तक गंगा का जलस्तर 31 मीटर 6 सेंटीमीटर हो चुका है. खतरे के निशान से गंगा अभी भी तीन सेंटीमीटर ही नीचे है.