Bihar News: (ललित किशोर मिश्र, भागलपुर) भागलपुर स्मार्ट सिटी की सड़कों पर फिर से बड़े वाहनों का कब्जा होने लगा है. सरकार ने शहर को जाम और दुर्घटनाओं से बचाने के लिए करोड़ों खर्च कर बाइपास का निर्माण कराया था, ताकि ट्रक, ट्रैक्टर और बसें शहर में प्रवेश न करें. शुरुआती दिनों में पुलिस की सख्ती से व्यवस्था ठीक रही, लेकिन अब हालात फिर पुराने ढर्रे पर लौट गए हैं.
रात होते ही, खासकर 9 बजे के बाद, ट्रकों और बाहरी बसों का शहर में बेरोकटोक प्रवेश शुरू हो जाता है. पुलिस प्रशासन की मौजूदगी के बावजूद बड़े वाहन धड़ल्ले से एसएसपी, सिटी एसपी और पुलिस लाइन के सामने से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई कहीं नजर नहीं आती.
सुबह स्कूल टाइम पर भी खतरा
सुबह के वक्त जब बच्चे स्कूल के लिए निकलते हैं, उसी समय तेज रफ्तार ट्रैक्टर, ट्रक और बसें शहर में दौड़ती हैं. खासतौर पर बरारी से तिलकामांझी रोड पर, जहां कई स्कूल भी हैं, तेज रफ्तार ट्रैक्टर बड़ी घटना को न्योता देते हैं. बुधवार को तिलकामांझी में ऐसी ही एक चूक ने हादसे को जन्म दे दिया.
इस वक्त चौक-चौराहों पर न तो थाना पुलिस, न ट्रैफिक जवान और न ही परिवहन विभाग का कोई अधिकारी तैनात होता है. इससे वाहन चालकों का हौसला और बढ़ गया है.
प्रशासनिक अधिकारियों के आवास भी सुरक्षित नहीं
शहर में वरीय आरक्षी अधीक्षक, सिटी एसपी, डीएसपी (विधि-व्यवस्था), यातायात डीएसपी और कई थाना प्रभारी पदस्थापित हैं. बावजूद इसके ट्रक-बसें उनके आवास के आगे से निकलती हैं और कोई रोकने वाला नहीं. बाइपास, जीरो माइल, तिलकामांझी, मोजाहिदपुर, बबरगंज और बरारी थाना क्षेत्र की पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है.
रात में धड़ल्ले से घुसते हैं बस और ट्रक
स्थिति यह है कि परिवहन निगम की बसें भी 24 घंटे शहर के मुख्य मार्गों से ही संचालित हो रही हैं. रात में बाहरी बसें और ट्रक शहर में धड़ल्ले से घुसते हैं, जिससे स्मार्ट सिटी का ट्रैफिक प्रबंधन सवालों के घेरे में है. जरूरत है सख्त मॉनिटरिंग की, वरना बाइपास निर्माण का मकसद ही खत्म हो जाएगा और शहर फिर से जाम, दुर्घटनाओं और अव्यवस्था का शिकार हो जाएगा.
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