जिले के शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक संघ ने वेतन सहित कई मुद्दों को लेकर रविवार को सैंडिस कंपाउंड में बैठक की. इस दौरान उन्होंने अनुदेशकों को पूर्णकालिक शिक्षक घोषित करने, पूर्व के शारीरिक शिक्षकों की तरह वेतन व सम्मान देने, राज्यकर्मी की दर्जा, वेतन विसंगति को अविलंब दूर करने, समान काम के बदले समान वेतन देने आदि की मांग की. संघ के सदस्य अभय कुमार मिश्रा, नीलम भारती, कुंदन कुमार, अंजनी कुमार, जयंत कुमार, रविंद्र कुमार, रमेश यादव आदि ने कहा कि तीन वर्षों से शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशक अपनी मांगों को लेकर अधिकारी से लेकर सरकार तक अपनी बात पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं. शासन के वरीय अधिकारी तक मांगों को लेकर आवेदन भी दिया, लेकिन कहीं नहीं सुनी जा रही है. वेतन के नाम पर महज आठ हजार रुपये मानदेय पर मिडिल स्कूलों में काम कर रहे है. उन अनुदेशकों को ना तो अब तक पूर्णकालिक का दर्जा मिला और ना ही वह सम्मान, जो एक शिक्षक को मिलना चाहिए. महंगाई की मार, परिवार का बोझ और दूर-दराज जिलों में 100 से 200 किलोमीटर तक की ड्यूटी इन सबके बीच ये अनुदेशक संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार अनदेखी कर रही है. पूरे बिहार के शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों की यही हालत है. कहा कि स्थिति यह है कि उनलोगों को अंशकालिक बताया जाता है. सुबह से स्कूल खुलने से लेकर खेलकूद, स्वास्थ्य जागरूकता व अन्य शारीरिक गतिविधियों का पूरा दारोमदार उन्हीं अनुदेशकों पर होता है. बीते वर्षों में कई बार इन अनुदेशकों ने जिला स्तर से लेकर पटना तक सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे. बदले में लाठीचार्ज, गिरफ्तारी की गयी. संघ ने सरकार से अपील की है कि उन्हें पूर्णकालिक किया जाये. वेतनमान सुधारा जाये. पूर्व के शारीरिक शिक्षकों की तरह गिनती में लाकर समान अधिकार दिया जाये.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है