असानंदपुर बड़ा इमामबाड़ा से सोमवार को शिया समुदाय के लोगों ने अलम का जुलूस निकाला. जुलूस शाम लगभग पांच बजे शाहजंगी करबला मैदान पहुंचा और पहलाम के साथ संपन्न हुआ. सुबह करीब 11 बजे बड़ा इमामबाड़ा से अलम का जुलूस निकाला. करीब दोपहर एक बजे मुस्लिम हाई स्कूल के समीप पहुंचा. जुलूस में शामिल लोग नौहा खानी व मरसिया खानी पढ़ रहे थे. हजरत हुसैन के गम में लोग जंजीरी मातम कर खून से लहूलुहान हो गये थे. रास्ते में जगह-जगह जुलूस रोक कर तकरीर की जा रही थी. इसमें इमाम हुसैन व उनके शहीद हुए साथियों के बारे में बताया जा रहा था. जुलूस मुस्लिम हाई स्कूल समपार होते हुए मोहद्दीपुर हबीबपुर स्थित लल्लो मियां के इमामबाड़ा पहुंचा. वहां लोगों ने नौहा खानी पढ़ी और जंजीरी मातम किया. शाम पांच बजे जुलूस शाहजंगी करबला मैदान पहुंचा. मौके पर मौलाना नासिर हुसैन ने कहा कि यजीद ने इमाम हुसैन व 72 साथियों को शहीद कर इस्लाम को खत्म करने का प्रयास किया, लेकिन हजरत इमाम हुसैन अलैह सलाम ने अपने नाना जान हजरत पैगंबर साहब के दीन-ए-इस्लाम को कयामत तक के लिए बचा लिया. लोगों ने नम आंखों से पहलाम के अंत में अलविदा नौहा खानी अलविदा या हुसैन, अलविदा या हुसैन पढ़ी. नौहा खानी जावेद नकबी ,जीशान हुसैन, नायाब हुसैन, मोहम्मद, विक्टर ने किया. अलम के जुलूस में शहर के अलावा दूर-दराज से आये शिया समुदाय के लोगों ने भी शिरकत की. जिला शिया वक्फ कमेटी के सचिव जीजाह हुसैन ने शांतिपूर्ण तरीके से पहलाम होने पर जिला प्रशासन व सेंट्रल मुहर्रम कमेटी के सदस्यों को धन्यवाद दिया है.
जुलूस देखने के लिए लोगों की उमड़ी भीड़
अलम का जुलूस देखने के लिए शहर व दूर-दराज से आये लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी. मुस्लिम हाई स्कूल से लेकर शाहजंगी करबला मैदान तक सड़क के दोनों ओर लोगों से पटा था. जुलूस के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे. सड़क के दोनों तरफ बिहार पुलिस के अधिकारी व जवान जुलूस के साथ चल रहे थे. जंजीरी मातम को देख हर कोई हैरत में था.
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