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bhagalpur news. कूड़े के ढेर में मेडिकल वेस्टेज, खतरा…खतरा…

सामान्य कूड़े में फेंका जा रहा मेडिकल वेस्टेज.

शहर में सामान्य कूड़े में फेंका जा रहा है यूज किया सिरिंज, पट्टी व अन्य सामानदीपक राव, भागलपुरसिल्क सिटी में निजी क्लिनिक से फेंके गये मेडिकल वेस्टेज राहगीरों व आमलोगों के लिए बीमारी का सबब बन सकता है. बरसात का मौसम शुरू होने पर नर्सिंग होम के आसपास रहने वाले लोगों को यह भय सताने लगा है. लोगों का कहना है कि स्वस्थ होकर हाट-बाजार जाते हैं या अन्य परिजनों का इलाज कराने के लिए नर्सिंग होम जाते हैं, तो आसपास फेंके गये मेडिकल वेस्टेज से संक्रमण की चपेट में आने का खतरा रहता है.

400 से अधिक क्लिनिक व नर्सिंग होम, 25 फीसदी के पास व्यवस्था नहीं

शहरी क्षेत्र के तिलकामांझी हटिया रोड, लाजपत पार्क के समीप, मसाकचक, जीरोमाइल चौक मुख्य मार्ग, बड़ी पोस्टऑफिस का आसपास क्षेत्र, मुंदीचक, तातारपुर व जब्बारचक मार्ग में कई निजी क्लिनिक व नर्सिंग होम हैं. इसमें कई नर्सिंग होम सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट का मेंबर भी नहीं है. वहां जैसे तैसे मेडिकल वेस्टेज कूड़ेदान में फेंक देते हैं. जो मेंबर है, उस क्लिनिक का वेस्टेज सुंदरवन स्थित एंसीनेटर में नष्ट किया जाता है, जबकि अन्य निजी क्लिनिक नगर निगम की ओर से सफाई व्यवस्था पर आश्रित हैं.

मेडिकल वेस्टेज में क्या-क्या

मेडिकल वेस्टेज में बैंडेज, गॉज, इस्तेमाल किये हुए यूरिन बैग, ब्लड की थैली, सिरिंज, निडिल, कटा हुआ प्लास्टर, प्लेसेंटा आदि आते हैं. इससे संक्रमण फैलने व प्रदूषण फैलने का भय हमेशा रहता है. इसके जीवाणु-विषाणु वातावरण में जल्दी फैलते हैं. मेडिकल वेस्टेज में कई संक्रामक बीमारी वाले रोगियों के इलाज के दौरान निकले मेडिकल वेस्टेज भी सामान्य तौर पर कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है. अधिकांश कूड़ादान नाले के आसपास रहता है, जो नाले में बह कर निचले क्षेत्र में पहुंच जाता है. कभी-कभी जल जमाव वाले क्षेत्र में लोगों के घर तक ये वेस्टेज पहुंच जाता है.

लोगों ने प्रभात खबर से व्यथा किया शेयर

शहर के निजी क्लिनिक में मेडिकल वेस्टेज नष्ट करने की व्यवस्था नहीं की गयी है. इससे कूड़ादान में मेडिकल वेस्टेज भरा पड़ा रहता है. जो कभी हवा द्वारा उड़ कर क्लिनिक के आसपास के घरों में आ जाता है.

कृष्णानंद सिंह, मसाकचक मायागंज अस्पताल का मेडिकल वेस्टेज भी गंगा नदी में प्रवाहित हो जाती है या तो नाले द्वारा आसपास के क्षेत्रों में भी इसका संक्रमण पहुंच जाता है. अन्य संक्रामक रोग भी अपना कदम बढ़ा रहा है. अस्पताल के बाहर व अंदर दोनों की सफाई जरूरी है.

शंकर पासवान, मिरजानहाट खुद अपने परिजन का इलाज कराने के लिए तिलकामांझी हटिया रोड आये हैं. यहां सड़क पर चलना खतरे से खाली नहीं है. जहां-तहां मेडिकल वेस्टेज फेंका गया है. हमेशा बचने का प्रयास करते हैं. सड़ांध भी फैल रही है. डर बना हुआ है.

वचनेश्वर पासवान, रिटायर्ड कर्मी सबौर कृषि कॉलेज

सरकार से निगम को नहीं मिल रहा है पर्याप्त फंड

नगर निगम के स्थायी समिति सदस्य संजय सिन्हा ने बताया कि नगर निगम को सरकार से पर्याप्त फंड नहीं मिल रहा है. मेडिकल वेस्टेज की व्यवस्था जब यहां है तो सभी डॉक्टरों को इसमें सहयोग करना चाहिए.

औसतन तीन हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैंभागलपुर में औसतन रोजाना 30 हजार मरीज दस-बारह जिलों से इलाज कराने आते हैं. यहां के चिकित्सक मरीजों से रोजाना करीब एक करोड़ से अधिक कमाते हैं, पर मेडिकल वेस्टेज (जैविक कचरा) के निस्तारण में हजार रुपये खर्च करने को तैयार नहीं हैं.

40 रुपये किलो बिकते हैं सिरिंज

खुले में फेंके जाने वाले जैविक कचरे को छोटे-छोटे बच्चे चुन कर कबाड़ में बेच देते हैं. कबाड़ी इसे 40 से 50 रुपये किलो में बेचते हैं. चिल्ड्रेन पार्क के समीप कबाड़ कारोबारी ने बताया कि 20 से 25 रुपये किलो सिरिंज खरीदते हैं और 40 रुपये की दर से बेचते हैं. भीखनपुर तीन नंबर गुमटी के पास एक बड़े कबाड़ के कारोबारी के यहां रोजाना बीस से पच्चीस किलो सिरिंज जमा होता है. मालूम हो कि यूजलेस सिरिंज व निडिल से संक्रामक रोग भी हो सकता है, लेकिन छोटे-छोटे बच्चे से लेकर महिला-पुरुष इस काम में लगे हुए हैं.

महत्वपूर्ण तथ्य

-रोजाना शहर के 100 नर्सिंग होम से 450 सौ किलो वेस्टेज का होता है निस्तारण-बाकी सेंटरों के जैविक कचरे खुले में फेंके जाते हैं-सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में एक घंटे में तीन सौ किलो कचरे का होता है निस्तारण-कई जिलों से लाये गये ढाई टन कचरे का रोज सिनर्जी वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट में होता है निस्तारण

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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