Prabhat Khabar Exclusive, संजीव झा, भागलपुर: शिक्षा विभाग की तमाम कवायद और सभी बच्चों को स्कूलों से जोड़ने की योजना धरातल पर उतारने की कोशिश में कहीं न कहीं अभी भी कमी है. पूरे बिहार राज्य में 80.1 प्रतिशत बच्चे सरकारी स्कूलों में नामांकित हैं. इसके अलावा राज्य के तीन प्रतिशत बच्चे स्कूल में नामांकित नहीं हैं. कोसी व पूर्व बिहार के 13 जिलों में सिर्फ खगड़िया, मुंगेर व सहरसा ही ऐसे जिले हैं, जहां राज्य के मुकाबले स्कूल में नामांकित नहीं रहनेवाले बच्चों की संख्या कम है. बाकी जिलों की स्थिति और भी खराब है. अररिया में नौ, बांका में 4.1, भागलपुर में पांच, जमुई में 3.4, कटिहार में पांच, खगड़िया में 2.7, किशनगंज में 3.8, लखीसराय में 3.6, मधेपुरा में 6.1, मुंगेर में 2.4, पूर्णिया में 3.1, सहरसा में 2.6, सुपौल में 4.4 प्रतिशत बच्चों का नामांकन स्कूल में नहीं है.
असर की रिपोर्ट से हुआ है खुलासा
असर संस्था हर वर्ष देश भर में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति पर सर्वेक्षण करता रहा है. वर्ष 2024 में हुए सर्वेक्षण की रिपोर्ट असर ने जारी की है. बच्चों की नामांकन स्थिति, अंकगणित के कौशल के बारे में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर यह रिपोर्ट तैयार की गयी है. इनमें तीन से 16 वर्ष की आयु के बच्चों को शामिल किया गया है. पांच से 16 वर्ष की आयु के बच्चों का उनके पढ़ने और अंकगणित के स्तर को समझा गया है. 14-16 वर्ष की आयु के बड़े बच्चों से उनकी डिजिटल पहुंच और उपयोग के बारे में प्रश्न पूछे गये.
बिहार में स्मार्टफोन की स्थिति
14 से 16 उम्र के 34.2 प्रतिशत बच्चों के पास स्वयं का स्मार्टफोन है.
14 से 16 उम्र के 39.8 प्रतिशत लड़कों के पास स्वयं का स्मार्टफोन है.
14 से 16 उम्र की 28.6 प्रतिशत लड़कियों के पास स्वयं का स्मार्टफोन है.
जिले की स्थिति
भागलपुर : तीसरी से पांचवी कक्षा के बच्चों में 44.1 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा स्तर की किताब ही पढ़ पाते हैं. 55.1 प्रतिशत बच्चे सिर्फ घटाव तक बनाना जानते हैं. छठी से आठवीं कक्षा तक के 69.8 प्रतिशत बच्चे दूसरी कक्षा की किताब पढ़ पाते हैं. 63.2 प्रतिशत बच्चे भाग तक बना पाते हैं.
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