साहित्य अकादमी नई दिल्ली ने वेबलाइन श्रृंखला के अंतर्गत मैथिली के साहित्यकार और प्राध्यापक रहे डाॅ प्रेमशंकर सिंह के व्यक्तित्व पर केंद्रित एक दिवसीय परिसंवाद का आयोजन किया. तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के मैथिली विभागाध्यक्ष रहे डाॅ प्रेमशंकर सिंह का मैथिली भाषा के अध्यापन में व्यापक योगदान रहा है. साथ ही मैथिली साहित्य की विकास यात्रा में भी उनका सराहनीय योगदान रहा है. उद्घाटन सत्र में साहित्य अकादमी के उप सचिव डाॅ एन सुरेश बाबू ने स्वागत भाषण दिया. वहीं मैथिली परामर्श मंडल के संयोजक व प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ उदय नारायण सिंह ने डाॅ प्रेमशंकर सिंह के भाषायी योगदान को रेखांकित किया. प्रथम सत्र की अध्यक्षता शिक्षाविद डाॅ केष्कर ठाकुर ने की. पूर्व प्राध्यापक डाॅ शिव प्रसाद यादव ने प्रेमशंकर सिंह के शैक्षणिक और साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डाला. वक्ताओं ने विषय केंद्रित आलेख का पाठ किया
टीएमबीयू के मैथिली विभाग के वर्तमान विभागाध्यक्ष डाॅ प्रमोद पाण्डेय व दरभंगा निवासी वरिष्ठ लेखक डाॅ योगानंद झा ने विषय केंद्रित आलेख का पाठ किया. डाॅ प्रेमशंकर सिंह के सुपुत्र प्रणव कुमार सिंह ने अपने पिता को याद करते हुए कई संस्मरण को पटल पर रखा. साहित्यकार लक्ष्मण झा सागर की अध्यक्षता में आयोजित सत्र में रोसड़ा महाविद्यालय के मैथिली विभाग में कार्यरत डाॅ प्रवीण कुमार प्रभंजन ने प्रेमशंकर सिंह के नाट्यालोचना पर आलेख पाठ किया. स्नातकोत्तर केंद्र सहरसा में कार्यरत डाॅ अरुण कुमार सिंह के द्वारा उनके आलोचना साहित्य पर विमर्श किया. रामकृष्ण महाविद्यालय मधुबनी के डाॅ अरविंद कुमार ने विवेच्य व्यक्तित्व के शोध दृष्टि से सम्बंधित आलेख का पाठ किया. वेबिनार में कोलकाता से जुड़े लक्ष्मण झा सागर ने अध्यक्षीय वक्तव्य में कई महत्वपूर्ण संस्मरण और उनके योगदान पर चर्चा की. परिसंवाद का समापन डाॅ नचिकेता के वक्तव्य और एन सुरेश बाबू के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ. वेबिनार में टीएमबीयू के डॉ अमिताभ चक्रवर्त्ती, डाॅ श्वेता भारती, मधेपुरा के डाॅ उपेंद्र प्रसाद यादव, डाॅ संजय वशिष्ठ, सुपौल से साहित्यकार केदार कानन, प्रसिद्ध साहित्यकार व मैथिली परामर्श मंडल के सदस्य डाॅ सुभाष चंद्र, कथाकार व समीक्षक आशीष चमन, सहरसा से किसलय कृष्ण, सत्यप्रकाश झा, सलीम सहगल, नोएडा से रमण कुमार सिंह, समस्तीपुर से डाॅ भास्कर ज्योति शामिल हुए.
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