ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुर दीवारों पर बनी तस्वीर सिर्फ घरों को खूबसूरत ही नहीं बनाती बल्कि भविष्य को भी उज्जवल बनाती है. ऐसी ही साज-सज्जा की तस्वीर को लेकर नाथनगर प्रखंड के मध्य विद्यालय दोगच्छी आजकल चर्चा में है. साज-सज्जा को लेकर ही शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने इस विद्यालय की साज-सज्जा की तस्वीरों की तारीफ कर विद्यालय के प्रधान अरुण कुमार को प्रशंसा प्रत्र भेजा है. एसीएस ने विद्यालय की साज सज्जा की तस्वीरों को “मौन शिक्षक ” कहते हुए इसे अन्य विद्यालयों के लिए प्रेरणाश्रोत बताया. विद्यालय की इस उपलब्धि पर शिक्षाविदों में खुशी का माहौल है. एसीएस एस सिद्धार्थ का पत्र (शब्दशः) आपके विद्यालय की दीवारों की शैक्षणिक साज-सज्जा की तस्वीरें देखकर प्रसन्नता हुई. विद्यालय की दीवारों को जिस सृजनात्मकता, सौंदर्यबोध और शैक्षणिक उद्देश्य के साथ सजाया गया है, वह अत्यंत प्रेरणादायक है. निःसंदेह यह प्रशंसनीय प्रयास है कि विद्यालय की प्रत्येक दीवार एक “मौन शिक्षक” के रूप में कार्य कर रही है, बिना बोले बच्चों को प्रेरणा देती है, उन्हें कल्पना की उड़ान भरने का अवसर प्रदान करती है और शिक्षण को संवेग, जीवंत एवं आनंदमय बनाती है. दीवारों पर आकर्षक रंग-बिरंगे चित्र, शैक्षणिक सूचनाएं और विद्यार्थियों की कलात्मक प्रस्तुतियां विद्यार्थियों में स्वानुशासन को प्रोत्साहित करने के साथ विद्यालय को एक जीवंत शिक्षण स्थल के रूप में रूपांतरित करती है. निःसंदेह इस प्रकार का वातावरण विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास में सहायक होगा और शिक्षकों के लिए शिक्षण को अधिक प्रभावशाली बनाने का माध्यम बनेगा. आपके नेतृत्व में विद्यालय ने जिस प्रकार सकारात्मक एवं प्रोत्साहनात्मक वातावरण का निर्माण किया है, वह अन्य विद्यालयों के लिए अनुकरणीय है. मैं चाहता हूं कि राज्य के सभी विद्यालय इस प्रकार सुसज्जित हो. इस उत्कृष्ट प्रयास के लिए मैं आपको, आपकी संपूर्ण टीम को एवं आपके विद्यार्थियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. आपका यह प्रयास “एक विद्यालय ऐसा भी…” की संकल्पना को सार्थक करता है और राज्य के सभी शिक्षकों से अनुरोध करता हूं कि इसका अनुकरण करें. तस्वीरों को देख बच्चों की समझ हो रही बेहतर तस्वीरों को देख बच्चों की समझ बेहतर हो रही है. तस्वीरों के माध्यम से बच्चे अंकों और अक्षरों का ज्ञान आसानी से ले रहे हैं, तो दूसरी तरफ पेड़, जल-जीवन-हरियाली के प्रति भी उनकी समझ बेहतर हो रही है. तस्वीरों के माध्यम से खास कर पहली दूसरी कक्षाओं के पाठ्यक्रम को उकेरने का प्रयास किया गया है. 2024 में दीवारों पर बनायी गयी थी तस्वीर प्रधानाध्यापक अरुण कुमार ने बताया कि वर्ष 2024 में बाला पेंटिंग के तहत विद्यालय में बच्चों के सृजनात्मक एवं शैक्षणिक विकास के लिए तस्वीर बनायी गयी है. इसे बनवाने में टीआरइ वन के शिक्षक ओमप्रकाश समेत विद्यालय के अन्य शिक्षकों का भी योगदान रहा है. बताया कि विद्यालय परिवार ने बच्चों की मानसिकता को देखते हुए उपयोगी तस्वीर बनाने का प्रयास किया. बात इतनी दूर तक जायेगी और उनका विद्यालय आदर्श स्थिति का परिचायक होगा, इसकी उम्मीद नहीं थी. एचएम ने कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना ही उनका एकमात्र मकसद है.
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