जिले में एक माह पहले बुधवार को अंग जनपद की लोकगाथा बिहुला-विषहरी पूजन की पहली व छोटी डलिया चढ़ायी गयी. इसी के साथ अंग जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में सती बिहुला के गीत गूंजने लगे. 17 अगस्त को महिलाएं बड़ी डलिया चढ़ायेंगी. फिर तीन दिनों के लिए मुख्य आयोजन शुरू होगा. महिलाओं ने दिन भर किया उपवास बुधवार को दिन भर महिलाओं ने व्रत कर शाम को मंदिर में माता विषहरी को पहली डलिया चढ़ाने के बाद ही भोजन ग्रहण किया. इससे पहले कुम्हार के घर से लाया गया कच्ची मिट्टी के बारी-कलश स्थापित कर दिया गया. कलश को लेकर भक्तों ने नगर भ्रमण किया. चंपानगर विषहरी स्थान में पंडित संतोष झा ने वैदिक विधि-विधान से पूजन कराया. परंपरा के अनुसार क्षेत्र की महिलाओं ने डलिया चढ़ाने के साथ-साथ बिहुला-विषहरी का गीत गाया. इसके साथ एक माह तक क्षेत्र में रोज माता का विधिवत पूजन होगा. मौके पर मुख्य पुजारी पंडित संतोष झा, अजीत झा, सेवक गौरी शंकर साह, चंदशेखर, अध्यक्ष संजय लाल, विनय लाल, रामशरण दास, नरेंद्र लाल, महेश, राजीव, श्रीकांत, मंजूषा कलाकार हेमंत कश्यप, साहित्यकार आलोक कुमार, पूर्व वार्ड पार्षद समाजसेवी देवाशीष बनर्जी, वार्ड पार्षद सोनी देवी, केंदीय पूजा समिति के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, कार्यकारी अध्यक्ष प्रदीप कुमार, शिव शंकर, पंकज दास सहित समाज के अन्य लोग इस शोभायात्रा में शामिल रहे. मंजूषा गुरु मनोज पंडित ने बताया कि सती नारियों के इतिहास में सती बिहुला का अपना स्थान है. 17 अगस्त से 19 अगस्त तक भागलपुर शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक, धार्मिक व सांस्कृतिक माहौल में बिहुला-विषहरी की पूजा होती है. चंपानगर के युवा श्रद्धालु हेमंत कश्यप ने बताया कि 17 अगस्त को महिलाएं बड़ी डलिया चढ़ाती हैं. सामाजिक कार्यकर्ता जगतराम साह कर्णपुरी ने बताया कि सती बिहुला ने अपने सतीत्व के बल पर ही इंद्रासन तक पहुंच कर अपने मृत पति, उनके छह भाइयों व मल्लाहों को पृथ्वी पर जिंदा लौटा लायी थी. इसी लोक गाथा को लेकर भागलपुर, बांका आदि अंग क्षेत्रों में बिहुला-विषहरी की पूजा होती है. जगह-जगह मेला भी लगता है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है