टेक्नो मिशन लालबाग में शुक्रवार को संबंध द्वारा प्रस्तुत नाटक डार्क लाइफ की समीक्षा बैठक हुई. वक्ताओं ने कहा कि डार्क लाइफ नाटक मानवीय संवेदना को झकझोरती है. यह नाटक मनोरंजन कम, आत्मबोध ज्यादा कराता है. टाउन हॉल के मंच पर प्रस्तुत यह नाटक एक अलग तरह के प्रयोग के साथ दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत किया गया. 60 मिनट के इस नाटक में घटनाओं को अलग-अलग आयामों के साथ प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया. सितार गुरु राय प्रवीर ने कहा कि नाटक के संवाद प्रभाव उत्पन्न करने में कमजोर साबित हुआ. सुनील जैन ने कहा कि प्रस्तुति के लिए जिन घटनाओं का सहारा निर्देशक ने लिया है वह नाटक को स्थानीय से वैश्विक स्तर तक पहुंचाता है. टेक्नो मिशन के निदेशक अंशु सिंह ने कहा कि इंसान जन्म लेता है और एक रेस में शामिल हो जाता है. रेस में भागते हुए उस जगह पहुंच जाता है, जहां इंसान के पास सब कुछ होते हुए भी कुछ नहीं होता. इप्टा के संजीव कुमार दीपू ने कहा कि मानवीय त्रासदी में फंसा मानव समाज और उससे निकलने की जद्दोजहद के दृश्य से शुरू होकर यह उम्मीद के दीपक पर समाप्त होता है. नाटक के तकनीकी पक्ष लाइट, संगीत, कॉस्ट्यूम, सेट, प्रॉपर्टी को समृद्ध किया. नाटक के निर्देशक रितेश रंजन ने कहा कि नाटक में पहली बार इतना दर्शक देखने को मिला. नाटक के कलाकार व दर्शकों का आभार व्यक्त करना चाहते हैं. नाटक में अभिनेता के रूप में सूर्यांश, रितिक, सुमित, आशिष, आयुष, सानू, उमा, श्रिया प्रेमसागर और शशिकांत ने बेहतर प्रस्तुति की.
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