जिले में इस बार खरीफ फसल की बोआई खासकर धान के रोपा की स्थिति ठीक नहीं है. अब तक 30 फीसदी तक रोपा हो जाना था. लेकिन बिचड़ा बोआई का काम भी पूरा नहीं हो सका है. आसमान में बादल व धूप की लुकाछिपी चल रही है. हालांकि अभी खेतों में दरार नहीं पड़े हैं, लेकिन उगे बिचड़ा पानी के लिए तरसने लगे हैं. अब तक पूरे जिले में 52 हजार हेक्टेयर भूमि में केवल 13 हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है. कृषि विशेषज्ञों व किसानों की मानें तो मानसून समय पर पहुंच जाता और पर्याप्त बारिश होती तो जिले के किसान 25 से 30 प्रतिशत तक रोपा कर लेते. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार अधिक बारिश हुई है. कृषि विभाग के अनुसार शाहकुंड, सुलतानगंज व पीरपैंती में कुछ क्षेत्रों में बॉग रोपा हुआ है, जबकि सुलतानगंज व पीरपैंती में प्रगतिशील किसान ने 13 हेक्टेयर भूमि में ही रोपा किया है. वहीं जगदीशपुर, नाथनगर, कहलगांव, गोराडीह, सन्हौला आदि में नहीं के बराबर रोपा हो सका है. ऐसे में सुखाड़ की स्थिति बनती जा रही है. जगदीशपुर देसरी के किसान सखीचंद विश्वास ने बताया कि पानी की सुविधा होती तो 40 प्रतिशत तक रोपा हो गया होता. बिचड़ा भी पूरी तरह नहीं बो सके हैं तो रोपा तो दूर की बात है. कोट:- कम बारिश होने से रोपा अभी अच्छी तरह शुरू नहीं हो सका है. बिचड़ा बोआई 72 प्रतिशत ही पूरा हो सका है. जिले में धान की खेती बारिश पर ही निर्भर है. हालांकि बारिश की संभावना बनी हुई है. प्रेम शंकर प्रसाद, जिला कृषि पदाधिकारी
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