इस बार 10 जुलाई को आषाढ़ पूर्णिमा पर अर्थात सावन आगमन के एक दिन पहले गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जायेगा. गुरु पूर्णिमा पर भागलपुर जिले में विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम होंगे. कहीं गुरु महिमा, गुरु पूर्णिमा महोत्सव तो कहीं गुरु पूजा का आयोजन होगा. इसे लेकर तैयारी आखिरी चरण में है. आषाढ़ पूर्णिमा पर अर्थात सावन आगमन से एक दिन पहले प्रतिवर्ष गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है. वास्तव में यह दिन महाभारत के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्मदिवस है. इस मौके पर भागलपुर जिले में विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम होंगे. महर्षि मेंहीं आश्रम में गुरु पूर्णिमा महोत्सव कुप्पाघाट स्थित महर्षि मेंहीं आश्रम में 10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा महोत्सव होगा. यहां पुष्पांजलि, सत्संग, भजन व भंडारा होगा. इसमें देश के विभिन्न स्थानों के श्रद्धालुओं का जुटान होने लगा है. दोपहर दो बजे गुरु की महिमा, सद्गुरु के कृतित्व पर प्रकाश डाला जायेगा. इस दौरान भजन-कीर्तन का भी आयोजन होगा. संतमत के वर्तमान आचार्य हरिनंदन बाबा एवं गुरुसेवी भगीरथ दास महाराज के सानिध्य में पूरा आयोजन होगा. आयोजन को लेकर महामंत्री दिव्य प्रकाश, मंत्री मनु भास्कर, व्यवस्थापक अजय जायसवाल, रमेश बाबा, पंकज बाबा, संजय बाबा, विद्यानंद बाबा, अमित कुमार, सूरज आदि लगे हैं. संजय बाबा ने बताया कि गुरु पूर्णिमा उत्सव पर श्रद्धालुओं के बीच फल का वितरण किया जायेगा. साथ ही भंडारा का आयोजन होगा. आर्ट ऑफ लिविंग की ओर से भी गुरु पूर्णिमा उत्सव होगा. शारदा संगीत सदन में गुरु पूजन सह सांस्कृतिक कार्यक्रम दीपनगर चौक के समीप स्थित शारदा संगीत सदन में 10 जुलाई को संध्या पांच बजे गुरु पूजन उत्सव होगा. इस दौरान संरक्षक पंडित शंकर मिश्र नाहर व प्राचार्य शर्मिला नाहर के संचालन में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होगा. दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की गुरु पूजा 24 को वहीं, दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान, भागलपुर की ओर से 24 जुलाई को दाउदबाट स्थित तुलसी वाटिका में गुरु पूर्णिमा महोत्सव होगा. 10 जुलाई को गुरु पूजा घर-घर होगी. पंडित सौरभ मिश्रा ने बताया कि नया बाजार सखीचंद घाट समीप स्थित जगन्नाथ मंदिर में भी गुरु पूजा होगी. इस दिन विशेष आयोजन होगा. आरएसएस कार्यकर्ता करेंगे भगवा ध्वज की पूजा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सभी स्वयंसेवक भगवा ध्वज की पूजा करेंगे. संघ के पदाधिकारी हरविंद नारायण भारती ने बताया कि इसमें किसी व्यक्ति को गुरु नहीं माना जाता है. इसमें तत्वनिष्ठा को ही गुरु माना गया है. भगवा ध्वज को गुरु माना गया है. इसमें ध्वज की पूजा गुरु के रूप होगी. पूजा-अर्चना के बाद वरिष्ठ स्वयंसेवक का प्रवचन गुरु की महिमा पर होगा. इसी क्रम में सभी स्वयंसेवक संघ को दक्षिणा अर्पित करेंगे. गुरु पूर्णिमा का महत्व आषाढ़ महीने की पूर्णिमा को महाभारत के रचयिता वेदव्यास का जन्म हुआ था. वेदव्यास के बचपन की बात है. वेदव्यास ने अपने माता-पिता से भगवान के दर्शन की इच्छा जाहिर की, लेकिन उनकी माता सत्यवती ने उनकी इच्छा पूरी करने से मना कर दिया. वेद व्यास जी हठ करने लगे, तो माता ने उन्हें वन जाने की आज्ञा दे दी. जाते समय माता ने वेदव्यास से कहा कि जब घर की याद आये, तो लौट आना. इसके बाद वेदव्यास तपस्या करने के लिए वन चले गये. वन में उन्होंने बहुत कठोर तपस्या की. इस तपस्या के प्रभाव से वेदव्यास जी को संस्कृत भाषा का बहुत ज्ञान हो गया. फिर उन्होंने चारों वेदों का विस्तार किया. इतना ही नहीं, उन्होंने महाभारत, अठारह पुराण और ब्रह्मसूत्र की रचना भी की. वेदव्यास ने भागवत पुराण का ज्ञान भी दिया था.
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