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World Environment Day: जानिए भागलपुर क्यों है देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर

World Environment Day: भागलपुर में प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का असर भागलपुर शहर समेत आसपास के इलाकों में दिखने लगा है. शहर के कई हिस्सों में 400-500 फीट तक बोरिंग कराया जा रहा है. 2030 तक इसके 800 फीट तक पहुंचने की आशंका जतायी जा रही है.

प्रभात खबर

World Environment Day: भागलपुर. प्राकृतिक संसाधनों के दोहन का असर भागलपुर शहर समेत आसपास के इलाकों में दिखने लगा है. समय रहते हमारी आंख नहीं खुली, तो हमें प्रकृति सबक सिखायेगी. पर्यावरण के साथ बिना संतुलन बिठाये अंधाधुंध शहरीकरण से यहां की जमीन बंजर हो रही है, नदियां सूख रही हैं और हवा में प्रदूषण की मात्रा देशभर में सर्वाधिक हो गयी है. शहर से सटे गंगा नदी व जमुनियां धार में चंपानगर से जीरोमाइल के बीच 16 बड़े हथिया नाले व 300 छोटे नालों से करीब 15 लाख गैलन गंदा पानी गिर रहा है. इससे नदी समेत शहर के ग्राउंड लेवल वाटर की गुणवत्ता बिगड़ रही है. ऐसा भयावह दृश्य टीएमबीयू के प्रशासनिक भवन घाट, बूढ़ानाथ घाट, माणिक सरकार, मायागंज अस्पताल घाट व बरारी पुल घाट समेत अन्य घाटों पर देखा जा सकता है. शहर के कई हिस्सों में 400-500 फीट तक बोरिंग कराया जा रहा है. 2030 तक इसके 800 फीट तक पहुंचने की आशंका जतायी जा रही है. गंगा नदी में 50 फीट तक गाद जमा होने से बाढ़ के समय पानी उफन कर शहरों व गांवों में घुस जाता है. वहीं गर्मी सर्दी आते आते के समय सारा पानी बहकर समुद्र में जा रहा है.

शहर के गंगाघाट किनारे कभी घनी झाड़ियां व पेड़-पौधों की भरमार रहती थी. शहर का दक्षिणी क्षेत्र में हरियाली ही हरियाली दिखती थी. लेकिन आज यहां पर बाग बगीचों को काटकर कॉलोनियां बसायी जा रही हैं. अब चारो तरफ कंक्रीट के जंगल दिखते हैं. इस कारण गर्मी में यह तपकर सामान्य से अधिक गर्मी का अहसास करा रही है. सड़क किनारे पेड़ की जड़ों को कंक्रीट व बिटुमिनस से ढंकने के कारण यह सूखकर ठूंठ बन रही हैं. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरइए) की रिपोर्ट के अनुसार देश के सर्वाधिक प्रदूषित 50 शहरों में दिल्ली के बाद शीर्ष स्थान पर भागलपुर रहा. जनवरी 2024 में भारत के दैनिक शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में भागलपुर 28 बार रहा. यह भागलपुर के लिए बेहद चिंता का विषय है. सड़क पर बेतहाशा बढ़ते वाहन व इससे निकलने वाले धुएं से स्थिति बिगड़ रही है. शहर में कचरा प्रोसेसिंग यूनिट नहीं रहने से इसमें आग लगाया जा रहा है.

Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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