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Darbhanga News: लोक शक्ति के उपासक बाबा यात्री-नागार्जुन सही मायने में थे जनकवि

Darbhanga News:कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि लोक शक्ति के उपासक बाबा यात्री-नागार्जुन सही मायने मे जनकवि थे.

Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि लोक शक्ति के उपासक बाबा यात्री-नागार्जुन सही मायने मे जनकवि थे, जिन्होंने न सिर्फ तीखे तेवर वाली कविताएं लिखी, बल्कि स्वयं भी सामाजिक आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लेकर अभूतपूर्व जन जागरण की मिसाल कायम की. वे बुधवार को जनकवि बाबा यात्री-नागार्जुन की 114वीं जयंती पर विद्यापति सेवा संस्थान की ओर से आयोजित श्रद्धांजलि सभा में बोल रहे थे. कहा कि बाबा ऐसे आधुनिकतम कवि थे, जिन्होंने मैथिली की माटी से निकलकर हिंदी साहित्य की अभूतपूर्व श्रीवृद्धि की. कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय में स्थापित नागार्जुन चेयर के तहत हिंदी एवं मैथिली विभाग द्वारा उनके कृतित्व एवं व्यक्तित्व से आने वाली पीढी को रूबरू कराने का कार्य किया जा रहा है. इसमें और तेजी लाई जाएगी, ताकि जनकवि के साहित्यिक एवं सामाजिक अवदान से आने वाली पीढी लाभान्वित हो सकें.

बाबा मूलतः विपक्ष के कवि- डॉ कामेश्वर

डॉ कामेश्वर पासवान ने कहा कि बाबा मूलतः विपक्ष के कवि थे. वे वर्चस्ववादी सत्ता के विरुद्ध प्रतिरोध की संस्कृति को आजीवन समृद्ध करते रहे. विद्यापति सेवा संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि यात्री-नागार्जुन ने आमजन के मुक्ति संघर्षों में न सिर्फ रचनात्मक हिस्सेदारी दी, बल्कि स्वयं भी जन संघर्षों में आजीवन सक्रिय रहते हुए प्रगतिशील धारा के कवि एवं कथाकार के रूप में ख्यात हुए. बाबा को भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग की. प्रधानाचार्य डॉ उदय कांत मिश्र ने कहा कि बाबा नागार्जुन समतामूलक समाज निर्माण के प्रबल समर्थक थे. चंद्रशेखर झा ने कहा कि यात्री-नागार्जुन वास्तव में जनता की व्यापक राजनीतिक आकांक्षा से जुड़े कवि थे. दुर्गानंद झा ने कहा कि बाबा की आलोचना का अपना अलग निराला अंदाज था.

जीवन के अंतिम पड़ाव तक व्यवस्था के विरुद्ध लड़ते रहे- प्रवीण

संचालन करते हुए प्रवीण कुमार झा ने कहा कि बाबा यात्री-नागार्जुन न सिर्फ कबीर की तरह अक्खड़, फक्कड़ व बेबाक थे, बल्कि वे जीवन के अंतिम पड़ाव तक व्यवस्था के विरुद्ध लड़ते रहे. इससे पूर्व इन सबों के अलावा डॉ राम सुभग चौधरी, नवल किशोर झा, चंद्रमोहन झा आदि ने विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय परिसर में स्थापित बाबा की प्रतिमा पर फूल-माला अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी.

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