Darbhanga News: शिवेंद्र कुमार शर्मा, कमतौल. सावन मास में उफान मारने वाली नदी को नाले के रूप में बहते देख लोग भौंचक हैं. मानसूनी वर्षा नहीं होने से सुखाड़ की स्थिति से किसानों में भी हताशा है. सावन महीने में नदियां पानी के लिए तरस रही हैं. वर्षा नहीं होने से कृषि कार्य के साथ तालाब व छोटे गड्ढों में पानी नहीं होने से मत्स्यपालन पर भी असर पड़ रहा है. कई तालाबों में पानी ही नहीं है या है तो बहुत ही कम है. कई नदियों की उपधाराएं सूख गयी हैं. जाले प्रखंड क्षेत्र के अंदर बहने वाली खिरोई नदी के साथ ही मिल्की के चमरहिया, सतिया, अहियारी के सत्ती पोखर, अहियारी गोट के गंगासागर, ढढ़िया के जोकरहिया व सेठजी पोखर, कमतौल पेट्रोल पंप समीप के महाराजी पोखर सहित क्षेत्र के दर्जनों छोटे-बड़े तालाब व गड्ढ़े सूखे की मार झेल रहे हैं. सावन से पूर्व आषाढ़ में ही खिरोई नदी के उफनाने से तट के समीप सैकड़ों एकड़ कृषि भूमि में पानी फैला रहता था. शेष कसर नेपाल की ओर से आने वाला पानी से पूरा हो जाता था, लेकिन दशकों बाद इस वर्ष खिरोई के साथ कई नदियों में पानी पेट के अंदर है. पानी का फैलाव होने से देसी मछली की प्रचूर आवक होती थी. दिनभर दर्जनों मछुआरे मछली पकड़ने में लगे रहते थे. इससे उनकी आजीविका चलती थी. इस वर्ष डेढ़ माह से अधिक समय से वर्षा नहीं होने व धूप के रौद्र रुप से किसानों सहित आमलोगों के बीच त्राहिमाम की स्थिति है. किसान कराह रहे हैं. उमस भरी गर्मी से किसान ही नहीं, आमलोग भी त्राहिमाम कर रहे हैं. मौसम आधारित अगहनी धान की रोपनी नहीं हो पा रही है. खेतों में दरारें फट गयी हैं. कुछ किसान पम्प सेट व मोटर के सहारे रोपनी शुरु की भी तो मौसम के मिजाज को देख सशंकित हैं. दो-चार दिन और वर्षा नहीं हुई तो धान की खेती पूरी तरह चौपट हो जाएगी. इधर अनावृष्टि से मखाना की खेती भी प्रभावित हो रही है. उत्पादन लागत बढ़ने से किसानों की आमदनी घटेगी. तीन-चार दशक में सावन माह में सुखाड़ की ऐसी स्थिति इलाके के लोगों ने नहीं देखी थी. खिरोई नदी को नजदीक से देखने वाले स्थानीय प्रगतिशील किसान धीरेंद्र कुमार, नरेंद्र कुमार सिंह, अनिल कुमार सिंह आदि ने बताया कि सावन माह में खिरोई नदी के इस रूप को चार दशकों में उन्होंने कभी नहीं देखा है. स्नेही सिंह ने बताया कि सावन में खिरोई नदी उफनती रहती थी, लेकिन इस वर्ष नाले के रुप में बह रही है. शिक्षाविद प्रो. श्रीशचंद्र चौधरी ने बताया कि क्षेत्र में नदी व जलाशय में पानी की कमी इस महीने पिछले पांच दशक में पहली बार देखी जा रही है. तटबंध के सटे बसे मस्सा, मिल्की, ततैला, सोतिया गांव के किसानों ने बताया कि सावन में वर्षा का नहीं होना चिंता का विषय है. अहियारी के सुशील कुमार ठाकुर, प्रवीण कुमार ठाकुर, सतीश चंद्र ठाकुर ने बताया कि चार दशक के दौरान सावन में ऐसी स्थिति कभी नहीं देखी गयी.
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