Darbhanga News: दरभंगा. बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग के अध्यक्ष प्रो. गिरीश कुमार चौधरी ने कहा कि यह दौर अनुसंधानात्मक शिक्षण का है. ऐसे में शोध पर ध्यान देने की आवश्यकता है. वे लनामिवि के 53वें स्थापना दिवस पर मंगलवार को जुबली हॉल में विकसित भारत 2047 के लिए उच्च शिक्षा में परिवर्तन : राज्य के विश्वविद्यालयों की भूमिका”””” विषयक परिचर्चा में बोल रहे थे. कहा कि विश्वविद्यालयों को शैक्षणिक दृष्टि से सशक्त और सुदृढ़ बनाने में शिक्षकों की भूमिका अहम है. गुरु-शिष्य परंपरा तथा पर्यवेक्षक-शोधार्थी के बीच समर्पित और एकनिष्ठ संबंध विश्वविद्यालय की जिम्मेदारी है. कहा कि शिक्षा के बदलते संरचनात्मक स्वरूप को आत्मसात करते हुए शिक्षकों को सीखने की आवश्यकता है. नई शिक्षा नीति के मद्देनजर अध्यापन कार्य व शैली में विकास के लिए शिक्षक तैयार हों.
शिक्षकाें की विशेषता और स्किल्स का हो समुचित उपयोग
कहा कि विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की कमी बहुत हद तक दूर कर ली गयी है. जो शेष है, वह भी जल्द वेकेंसी निकालकर भरा जाएगा. हमें शिक्षकों की विशेषता और स्किल्स का समुचित उपयोग कर विश्वविद्यालय के संवर्द्धन का प्रयास करना होगार. निर्धारित पाठ्यक्रम के अलावा खेलकूद, कला, संगीत और संस्कृति का ज्ञान भी जरूरी है. डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के पूर्व कुलपति प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने समकालीन परिप्रेक्ष्य में भारतीय ज्ञान परंपरा की आवश्यकता के बारे में बताया. नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत मूल्यपरक शिक्षा को विश्वविद्यालयों में शामिल करने की बात कही. बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के कुलपति प्रो.विमलेंदु शेखर झा ने नई शिक्षा नीति के तय मापदंडों पर खड़ा उतरते हुए उतरोत्तर विकास की सीढ़ी चढ़ते जाने की बात कही. स्किल बेस्ड डेवलपमेंट, मातृभाषा में शिक्षण के साथ – साथ अनुसंधानात्मक रिसर्च और तटस्थ कार्यशैली अपनाने की सलाह दी.शोध विश्वविद्यालय का दर्जा मिलने से बढ़ गयी जवाबदेही- कुलपति
अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कहा कि भारत सरकार की परियोजना मेरु में हमें शमिल होने का गौरव प्राप्त हुआ है. ””””शोध विश्वविद्यालय”””” का दर्जा प्राप्त होने से हमारी जवाबदेही कहीं अधिक बढ़ गई है. ऐसे में एक सुनियोजित रोड मैप तैयार कर सभी शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्र – छात्राओं और कर्मियों को समर्पित भाव से विश्वविद्यालय के विकास में योगदान देना होगा. कहा कि कक्षा के नियमित संचालन के साथ ही विद्यार्थियों की उपस्थिति संख्या में बढ़ोतरी अतिआवश्यक है. इससे पहले ललित नारायण मिश्र की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया. कुलसचिव डॉ दिव्या रानी हंसदा ने विवि के यात्राक्रम पर प्रकाश डाली. समारोह में संकायाध्यक्षों का सम्मान किया गया. संकायाध्यक्ष प्रो. हरेकृष्ण सिंह, प्रो. दिलीप कुमार चौधरी, प्रो. शाहिद हसन, प्रो. मंजू राय, प्रो. पुष्पम नारायण और प्रो. शशि भूषण राय ने भी विचार रखा. संचालन डॉ प्रियंका राय तथा डॉ पारुल बनर्जी ने किया. मौके पर स्नातकोत्तर क्रीड़ा परिषद् द्वारा आयोजित खेल प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है