दरभंगा. चार नवरात्र में दूसरा सबसे चर्चित वासंती नवरात्र को लेकर वातावरण भक्तिमय हो चला है. वातावरण में दुर्गा सप्तशती के मंत्र गूंज रहे हैं. सुबह-शाम शक्ति उपासकों की भीड़ पूजन स्थलों पर जुटने लगी है. हालांकि नवरात्र का दूसरा ही दिन है. सोमवार को भगवती के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना विधि-विधानपूर्वक की गयी. सुबह पहले आचार्य के मार्गदर्शन में संकल्पित पूजक ने षोडषोपचार विधि से आवाहित देवी-देवताओं का पूजन किया. पूजन स्थल पर स्थापित मंगल घट की पूजा की. देवी दुर्गा की आरधना विधानपूर्वक की. इसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ आरंभ किया गया. उल्लेखनीय है कि पंचदेवोपासक मिथिला का परिचय शिव व शक्ति उपासक के रूप में विशेषतौर पर रही है. वैसे शारदीय नवरात्र जैसी धूम वासंती नवरात्र में नजर नहीं आती, लेकिन साल-दर-साल पूजन स्थलों की संख्या में वृद्धि होती जा रही है. विशेषकर ग्रामीण इलाकों में जहां शारदीय नवरात्र के दौरान सार्वजनिक पूजा का आयोजन नहीं किया जाता, उन क्षेत्रों में वासंती नवरात्र के आयोजन की संख्या बढ़ती जा रही है. लहेरियासराय के ओझौल में इस बार भी धूमधाम से शक्ति देवी की पूजा की जा रही है. वहीं गंगासागर, चूनाभट्ठी, गंगवाड़ा, चट्टी चौक समेत शहर के कई स्थानों पर पूजन हो रहा है. इधर, नवरात्र आरंभ होने के साथ ही प्रतिमा निर्माण के साथ साज-सज्जा के काम की गति तेज हो गयी है. मूर्त्तिकार जहां माता की प्रतिमा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं, वहीं पंडाल निर्माण के लिए बांस-बल्ला गाड़ने का काम भी रफ्तार पकड़ चुका है. बता दें कि आगामी तीन अप्रैल को बेल न्योति की रस्म अदायगी के बाद चार अप्रैल को बेल तोड़ी के पश्चात विधानपूर्वक पूजा के बाद भक्तों के दर्शनार्थ माता का पट खोल दिया जायेगा. पांच अप्रैल को निशा पूजा की जायेगी. इसी दिन श्रद्धालु महाष्टमी का व्रत रखेंगे. छह अप्रैल को महानवमी के अगले दिन सात अप्रैल को विजयादशमी के संग नवरात्र अनुष्ठान संपन्न हो जायेगा.
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