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मनरेगा से पांच वर्षों में हुआ 7.49 लाख पौधारोपण, धरातल पर दिख रही गड़बड़ी ही गड़बड़ी

जांच के लिए एक टीम का भी उस समय गठन किया गया था.

– मनरेगा का दावा मात्र 15 प्रतिशत ही सूख हैं पौधे, जांच हुई तो खुलेगी पोल

मुंगेरजल-जीवन-हरियाली अभियान के तहत जिले में पिछले आठ वर्षों से पौधारोपण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत विभिन्न विभागों की ओर से पौधारोपण किया गया. जिसके तहत मनरेगा योजना से भी पिछले पांच वर्ष में 7 लाख 49 हजार 400 पौधे लगाने का दावा किया जा रहा है. लेकिन मनरेगा के तहत लगे पौधारोपण का अगर सतत निरीक्षण हुआ तो विभाग के दावों की पोल खुल जायेगी और एक बार फिर पौधारोपण के नाम पर मनरेगा में नया घोटाला सामने आ जायेगा. क्योंकि कई क्षेत्रों में पौधारोपण का अवशेष भी नहीं है.

विभागीय जानकारी के अनुसार पिछले पांच वर्ष में मनरेगा के तहत 3747 युनिट पौधा रोपण किया गया. एक युनिट के तहत 200 पौधा लगाना होता है. इस हिसाब से मनरेगा के तहत जिले में कुल 7 लाख 49 हजार 400 पौधारोपण किया गया. जबकि 85.41 प्रतिशत पौधा जीवित अवस्था में रहने की बात बतायी जा रही है. विभाग की माने तो हर साल पौधारोपण अभियान को मनरेगा ने गति देने का काम किया है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में 225 यूनिट पौधारोपण किया गया था. जबकि वित्तीय वर्ष 2021-22 में 469 यूनिट, 2022-23 में 637 यूनिट, 2023-24 में 1080 यूनिट और वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1321 यूनिट पौधारोपण किया गया. जबकि वित्तीय वर्ष 2025-26 में पौघारोपण का लक्ष्य अब तक विभाग को नहीं मिला है.

मनरेगा विभाग के पास नहीं है पहले तीन वर्ष का लेखा-जोखा

मनरेगा के तहत आठ वर्ष से जल-जीवन हरियाली के तहत सरकारी और गैर सरकारी भूमि पर पौधारोपण का कार्य चल रहा है. लेकिन विभाग के पास मात्र पांच साल का ही हिसाब-किताब है. यानी इससे पूर्व तीन वर्ष में कितना पौधा लगा, उसकी क्या स्थिति है और वह धरातल पर है अथवा नहीं इसका विभाग के पास कोई लेखा-जोखा नहीं है. क्योंकि मनरेगा में पौधारोपण के नाम पर उन तीन वर्षों में जमकर धांधली बरती गयी थी. यही कारण है कि उसका रिकार्ड ही विभागीय स्तर पर गुम कर दिया गया. यानी न रहेगी बांस, न बजेंगी बांसुरी… वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है.

मनरेगा के पौधारोपण से आ रही धांधली की बू

विभाग की माने तो पांच वर्ष में मात्र 14.59 प्रतिशत पौधा ही सूखा है. यानी 85.41 प्रतिशत पौधा मनरेगा के रिकार्ड में जीवित है. लेकिन जानकारों को माने तो मनरेगा के तहत पौधारोपण में बड़े पैमाने पर धांधली बरती गयी है. एक ओर जहां कागजों पर ही कई क्षेत्रों में पौधारोपण किया गया, वहीं दूसरी ओर पौधारोपण के तहत लगने वाले चापानल के नाम पर गड़बड़ी की गयी है. विदित हो कि एक दशक पूर्व मनरेगा योजना के तहत पौधारोपण कार्यक्रम चलाया गया था. जब जांच हुई तो पता चला कि पौधा लगा ही नहीं और रिपोर्ट में बाढ़ में पौधा बह जाने की बात कह कर पैसों का बंदर बांट कर लिया गया था. जिसमें अधिकारी से लेकर अन्य फंसे थे. जांच के लिए एक टीम का भी उस समय गठन किया गया था. लेकिन आज तक उस पौधारोपण घोटाले पर पर्दा पड़ा हुआ है.

कहते है अधिकारी

मनरेगा डीपीओ साहेब यादव ने बताया कि विभाग के पास पांच वर्षों का डाटा है. इन पांच वर्षों में 3747 यूनिट के तहत 7,49,400 पौधारोपण किया गया. जिसमें 85.41 प्रतिशत पौधा जीवित है. मरेगा के कहां-कहां पौधारोपण किया गया था. एक बार पुन: सर्वे कराया जायेगा कि पौधा किस स्थिति में है.

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मनरेगा के तहत वृक्षारोपण के नाम पर खानापूर्ति

मुंगेर : टेटियाबंबर प्रखंड में मनरेगा के तहत वृक्षारोपण योजना में जमकर धांधली की गई है.

बताया गया कि हर पंचायत में 12 यूनिट पौधा लगाने का लक्ष्य दिया गया. अर्थात प्रत्येक पंचायत में 244 पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा गया था, जो पंचायत रोजगार सेवक के माध्यम से लगाया जाना था. लेकिन योजना का हाल यह है कि कई पंचायतों में पेड़ तो दूर संबंधित सूचनापट तक गायब है. स्थानीय लोगों की मानें तो योजनांतर्गत पेड़ लगाकर प्रखंड में हरियाली लाने के प्रति संबंधित अधिकारियों ने दिलचस्पी ही नहीं दिखाई. योजना का नाम प्रखंड मुख्यालय से कस्तूरबा विद्यालय तक सड़क के दोनों तरफ वृक्षारोपण का कार्य तीन यूनिट के जगह एक यूनिट ही वृक्ष लगाया गया है. 600 के जगह मात्र 200 पेड़ भी कहीं नजर नहीं आते. भुना पंचायत के वृक्षारोपण में पोल व तार तो नजर आते हैं, लेकिन वृक्ष गायब है.

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