जमालपुर. 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को आनंदमार्गी विरोध स्वरूप काला दिवस के रूप में मनाते हैं. आपातकाल के दौरान आनंदमार्गियों के साथ क्रूर से क्रूरतम व्यवहार किया गया था. इसलिए आनंदमार्गी प्रतिवर्ष 25 जून को काला दिवस मनाकर आपातकाल का विरोध करते हैं. आनंद मार्ग प्रचारक संघ के आचार्य रघु रामानंद अवधूत ने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र पर काला धब्बा लगाते हुए देश में आपातकाल की घोषणा की थी. जिसके बाद नागरिकों के मूल अधिकार छीन लिए गए. इस दरमियान आनंद मार्ग सहित 100 से भी ज्यादा संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया गया और अनुयायियों को जेल भेजा गया एवं उन पर सबसे ज्यादा अत्याचार किया गया. बिहार के बांकीपुर जेल में आनंद मार्ग के संस्थापक गुरु भगवान आनंदमूर्ति की चिकित्सा के नाम पर उन्हें जहर दिया गया. परंतु वह अपने आध्यात्मिक शक्ति के कारण जहर को सहन कर लिया. उन्होंने कहा कि इन सब अत्याचारों के विरोध में देश-विदेश में आनंद मार्गियों ने आत्मदाह कर अपना विरोध जताने लगे. विदेश में कई देश के दूतावासों के पास सन्यासियों एवं संन्यासियों ने आत्मदाह किया. वरिष्ठ पत्रकार कूमि कपूर की पुस्तक द इमरजेंसी में बताया गया है कि आनंद मार्गियों की गिरफ्तारी की योजना इमरजेंसी के 6 महीना पहले से ही बनाई जा रही थी. द इमरजेंसी पुस्तक में बताया गया कि इमरजेंसी के बहाने आनंद मार्गियों को खत्म करने की साजिश थी. यहां तक कि सरकारी नौकरी में काम करने वाले लोगों को आनंद मार्ग छोड़ देने के लिए कहा गया.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है