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विद्यार्थी चाहे तो शोध के क्षेत्र में कुछ भी संभव : कुलपति

बीआर महिला कॉलेज में शनिवार को वनस्पति शास्त्र विभाग की ओर से "रोल ऑफ बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन, एथनो-बोटैनिकल और टैक्सोनॉमी रिसर्च " विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया

बीआर महिला कॉलेज में “रोल ऑफ बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन, एथनो-बोटैनिकल और टैक्सोनॉमी रिसर्च ” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार

मुंगेर.

बीआर महिला कॉलेज में शनिवार को वनस्पति शास्त्र विभाग की ओर से “रोल ऑफ बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया, बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन, एथनो-बोटैनिकल और टैक्सोनॉमी रिसर्च ” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य अतिथि मुंगेर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजय कुमार तथा आमंत्रित वक्ता के रूप में प्रसिद्ध वनस्पति वैज्ञानिक डॉ. एए मायो और डॉ. गोपाल कृष्ण थे. सेमिनार की शुरुआत विश्वविद्यालय कुलगीत से हुई. जिसके बाद स्वागत गीत डॉ. मृत्युंजय कुमार मिश्रा ने प्रस्तुत किया. कुलपति ने विद्यार्थियों को रिसर्च की दुनिया में कदम रखने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि यदि आप ठान लें, तो शोध के क्षेत्र में कुछ भी संभव है. जैव विविधता के संरक्षण को समय की सबसे बड़ी मांग बताते हुए उन्होंने कहा कि नदियों में गंदा पानी गिरने से पर्यावरण संकट में है. उन्होंने सुझाव दिया कि सीवर के पानी को शुद्ध किए बिना नदियों में प्रवाहित न किया जाए. सतत विकास पर विशेष जोर देते हुए उन्होंने छात्राओं को एक विशेष योजना की जानकारी दी. उन्होंने घोषणा की कि जो भी छात्राएं पांच पौधे लगाकर उनका संरक्षण करेंगे. उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से अतिरिक्त 5 अंक प्रदान किए जायेंगे.

बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया वैज्ञानिक खोजों का केंद्र

मुख्य वक्ता प्रसिद्ध वैज्ञानिक डा. एए मायो ने कहा कि बोटैनिकल सर्वे ऑफ इंडिया न केवल वैज्ञानिक खोजों का केंद्र है, बल्कि इसका सीधा संबंध देश की परिस्थितियों की सुरक्षा से भी है. जैव विविधता को केवल पौधों या जानवरों तक सीमित न रखें, बल्कि इसे एक समग्र जीवन पद्धति के रूप में देखें. डॉ. गोपाल कृष्ण ने पौधों के नामकरण (नॉमेनक्लेचर) और टैक्सोनॉमी के महत्व पर जानकारी दी. ह्यूमैनिटीज डीन प्रो. भवेशचंद्र पांडे ने भी पर्यावरण संरक्षण के विविध उपायों पर विस्तार से बात की. उन्होंने कहा कि पर्यावरण केवल प्राकृतिक संसाधनों का भंडार नहीं, यह हमारी संस्कृति और सभ्यता की आत्मा है. हमें उपभोग की प्रवृत्ति से हटकर संरक्षण की चेतना को अपनाना होगा. मनुष्य और प्रकृति का संबंध परस्पर आश्रित है, ना कि शोषणकारी. मौके पर कॉलेज की प्रभारी प्राचार्य डॉ. निर्मला कुमारी, बॉटनी विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप कुमार टाटा, डॉ. रामरेखा कुमार, डॉ. अभय कुमार आदि मौजूद थे.

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