मुंगेर.
सदर अस्पताल की बदहाल व्यवस्था अब मरीजों की जान पर भी आफत बनने लगी है. जिसका साफ उदाहरण शनिवार को मॉडल अस्पताल में संचालित ओपीडी सेवा के दौरान देखने को मिली. जहां एक मरीज पेट दर्द की शिकायत पर इलाज कराने पहुंचा. जिसे जांच के बाद चिकित्सक द्वारा मेफेनामिक एसिड दर्द की दवा लिखी गयी. लेकिन दवा काउंटर पर मरीज को मेटफॉरमिन दवा दे दी गयी. जो डायबिटीज मरीजों को दिया जाता है. अब ऐसे में जहां दवा काउंटर डाटा ऑपरेटर, एएनएम व जीएनएम के प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं के भरोसे चल रहा हो, वहां मरीजों को दवा चिकित्सक के अनुसार मिल रही है या नहीं, यह बड़ा सवाल अस्पताल प्रशासन पर उठ रहा है. दरअसल, शनिवार को 65 वर्षीय अमीर साह मॉडल अस्पताल में संचालित ओपीडी में पेट दर्द की शिकायत लेकर पहुंचे. रजिस्ट्रेशन कराने के बाद वे चिकित्सक के पास पहुंचे. जहां पेन अबडोमेन की शिकायत होने के कारण चिकित्सक द्वारा दर्द व सूजन बताया गया. साथ ही इसके लिये मेफेनामिक एसिड 500 एमजी दवा उसके लिये भव्या एप पर प्रिसक्राइव कर दी गई. जिसके बाद अमीर साह दवा काउंटर पर पहुंचे और रजिस्ट्रेशन पर्ची दी. जहां उसे मेफेनामिक एसिड 500 एमजी की जगह मेटफोर्मिन हाइड्रोक्लोराइड ससटेन 500 एमजी की दवा दे दी गयी. जिसे डायबीटिज मरीज को दिया जाता है. हलांकि दवा काउंटर पर डाइसाइकलोमीन 10 एमजी दवा नहीं मिलने के कारण मरीज अस्पताल के बाहर निजी दुकान पर दवा लेने पहुंचा. जहां अन्य दवा दिखाने के बाद उसे जानकारी मिली की चिकित्सक द्वारा लिखी गयी दर्द की दवा की जगह उसे ओपीडी के दवा काउंटर पर डायबीटिज की दवा दे दी गयी. जबकि मरीज को मधुमेह की शिकायत भी नहीं थी. हलांकि इसके बाद अमीर साह बाहर से ही दवा लेकर घर चले गये.कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डाॅ. रामप्रवेश प्रसाद ने बताया कि कर्मियों की कमी के कारण दवा काउंटर पर प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं की ड्यूटी लगायी जाती है. मरीज को यदि गलत दवा दी गयी है तो इसकी जानकारी ली जायेगी.
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