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एक बार फिर ईरिमी जमालपुर भारतीय रेल में इतिहास रचने को तैयार

भारतीय रेलवे यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान भारतीय रेल का गौरव है, जिसका 98 वर्षों का अपना गौरवशाली इतिहास है.

ईरिमी बनेगा सेंटर आफ एक्सीलेंस

वेल्डिंग, हाइड्रॉलिक्स, न्यूमेटिक्स एवं मेकेटोनिक्स ब्रांच की होगी पढ़ाई

जमालपुर. भारतीय रेलवे यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान भारतीय रेल का गौरव है, जिसका 98 वर्षों का अपना गौरवशाली इतिहास है. जिसमें रेलवे के मैकेनिक और इलेक्ट्रिकल इंजीनियर की पौध का निर्माण होता था. लेकिन रेलवे में स्पेशल क्लास अपरेंटिस के खत्म होन से ईरिमी के गौरव पर धुंध दिख रहा था. लेकिन रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के जमालपुर आगमन के बाद एक बार फिर ईरिमी जमालपुर भारतीय रेल में इतिहास रचने को तैयार है. क्योंकि रेल मंत्री ने ईरिमी को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने के लिए 350 करोड़ का सौगात दिया है. सेंटर आफ एक्सीलेंस बनने के बाद यहां वेल्डिंग, हाइड्रॉलिक्स, न्यूमेटिक्स एवं मेकेटोनिक्स ब्रांच की पढ़ाई होगी. यहां से पढ़ाई कर निकले अभियंता भारतीय रेलवे में मील का पत्थर साबित होंगे.

1888 में हुई थी ईरिमी की स्थापना

भारतीय रेलवे यांत्रिक एवं विद्युत अभियंत्रण संस्थान की स्थापना रेल इंजन कारखाना जमालपुर के परिसर में वर्ष 1888 में हुई थी. पहले से रेल कारखाना के टेक्निकल स्कूल के रूप में जाना जाता था. वर्ष 1905 में यहां यूरोपियन अप्रेंटिस और बाद में 1911 में पार्टीशन अप्रेंटिस प्रशिक्षण आरंभ हुआ. इस बीच पहला विश्व युद्ध के दौरान देश में इंडियन इंडस्ट्रियल कमीशन का गठन हुआ, क्योंकि भारतीय रेल की कमजोरी युद्ध के दौरान उजागर हो चुकी थी. इसी क्रम में इस संस्थान में भारतीय अप्रेंटिस मैकेनिक को पर्यवेक्षक का प्रशिक्षण कार्य आरंभ हुआ. जिसके बाद 14 फरवरी 1927 को स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस का पहला बैच इस संस्थान में शामिल किया गया था. तब इसका नाम टेक्निकल स्कूल ही था. बाद में 1974 में इसका नामकरण इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट आफ मैकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के रूप में किया गया.

यहां के प्रशिक्षक को मिल चुका है नोबेल पुरस्कार

इरिमी भारतीय रेल का सितारा है. जहां के प्रशिक्षकों ने भारतीय रेल के परिचालन को सुगम बनाने और इसे समुन्नत करने में कई सारी उपलब्धियां हासिल की है. इतना ही नहीं यहां के प्रशिक्षक राजेंद्र कुमार पचौरी को वर्ष 2007 में नोबेल पुरस्कार मिलना इस संस्थान के इतिहास में स्वर्ण अक्षर में दर्ज है. स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस के लिए यूपीएससी द्वारा विधिवत परीक्षा ली जाती थी. परंतु वर्ष 2015 में यूपीएससी ने स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस की परीक्षा को बंद कर दिया. जिसके बाद वर्ष 2016 से स्पेशल क्लास रेलवे अप्रेंटिस की नामांकन प्रक्रिया पूरी तरह बंद कर दी गयी. लेकिन 23 मई 2025 को केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव जमालपुर पहुंचे तो उन्होंने न सिर्फ ईरिमी को सेंटर आफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करने की घोषणा की. बल्कि इसके लिए 350 करोड़ रूपये का भी प्रावधान किया. इस संस्थान में चार ट्रेड वेल्डिंग, हाइड्रॉलिक्स, न्यूमेटिक्स एवं मेकेटोनिक्स ब्रांच पढ़ाई होगी. रेल मंत्री ने घोषणा किया कि अगले वर्ष 2026 से इस संस्थान में यह व्यवस्था लागू हो जाएगी. इसके लिए गतिशक्ति विश्वविद्यालय के कुलपति को एक माह के अंदर यहां भेजा जाएगा. रेल मंत्री की घोषणा के बाद एक बार फिर ईरिमी भारतीय रेल में इतिहास रचने को तैयार है.

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