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73 दिनों में मात्र 9.100 एमटी गेहूं की खरीद

बाजार मूल्य के सामने फीका पड़ा सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य, जिला सहकारिता विभाग का निराशाजनक प्रदर्शन, गेहूं की सरकारी खरीद बनी औपचारिकता

मुंगेर. सरकार की लाख कोशिश के बावजूद जिले में सरकारी क्रय व्यवस्था किसानों के खलिहान तक नहीं पहुंच पा रही है. हद तो यह है कि बाजार मूल्य के सामने सरकार का न्यूनतम समर्थन मूल्य फीका पड़ गया. 15 जून को गेहूं खरीद की समय सीमा समाप्त हो जायेगी. इसमें मात्र तीन दिन शेष रह गया है. लेकिन जिले में अभी तक मात्र 9.100 एमटी ही गेहूं की खरीद हुई है. कुल मिलाकर कहा जाये, तो जिला सहकारिता विभाग के निराशाजनक प्रदर्शन के कारण जिले में गेहूं खरीद की योजना मात्र औपचारिकता बन कर रह गयी है.

1 अप्रैल से शुरू हुई थी गेहूं की सरकारी स्तर से खरीद

1 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू हुई थी और 15 जून तक गेहूं की खरीद की जायेगी. इसमें मात्र तीन दिन शेष बचा हुआ है. इन 73 दिनों में मात्र 13 किसानों से ही सरकारी स्तर से खरीद हो सकी है. इस दौरान मात्र 9.100 मिट्रिक टन गेहूं की ही खरीद की जा सकी है. जबकि गेहूं खरीद के लिए जिले में 50 पैक्स और 2 व्यापार मंडल को सहकारिता विभाग ने अधिकृत किया है. सरकार के नुमाइंदे किसानों तक अपनी पहुंच नहीं बना सके. इसके कारण किसान अधिकृत पैक्स और व्यापार मंडल तक अपनी गेहूं बेचने नहीं पहुंच रहे हैं. किसानों की मानें तो सरकार ने भले ही 48 घंटे में भुगतान की बात कही है, लेकिन भुगतान समय पर नहीं हो पाता है. जबकि गेहूं खुद अपने खर्च पर पैक्स ले जाने में राशि खर्च होती है, लेकिन व्यापारी खुद घर पर पहुंच कर गेहूं खरीद करते हैं और घर पर ही तत्काल राशि का भुगतान भी हो जाता है. जो सरकारी मूल्य से अधिक होता है. ऐसे में सरकारी दर पर कौन किसान होगा जो अपना गेहूं बेचेगा.

बाजार मूल्य के सामने फीका पड़ा सरकार का समर्थन मूल्य

पिछले साल की तुलना में सरकार ने 150 रुपये की वृद्धि करते हुए गेहूं का समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया, लेकिन बाजार मूल्य ने सरकार के समर्थन मूल्य को खुले बाजार में जमकर टक्कर दी. खुले बाजार में किसानों को 2600 से 2800 रुपये प्रति क्विंटल दाम दिया जा रहा है. इसके कारण किसान सरकार को गेहूं नहीं देकर खुले बाजार में बेच रहे हैं. सरकार प्रति वर्ष गेहूं खरीद के लिए एमएसपी में वृद्धि कर रही है. वर्ष 2021 में 1900 रुपये प्रति क्विंटल गेहूं का दर निर्धारित था. 2022 में 2015 रुपये प्रति क्विंटल, 2023 में 2125 रुपये प्रति क्विंटल, 2024 में 2275 रुपये प्रति क्विंटल और 2025 में 2425 रुपये प्रति क्विंटल न्यूनतम समर्थन मूल्य रहा है. लेकिन सरकार का यह मूल्य किसानों को आकर्षित नहीं कर सका. हाल यह रहा कि किसानों की बदलती प्राथमिकताओं और बाजार की ऊंची दरों ने सरकारी योजना की सफलता पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है.

पिछले वर्ष भी गेहूं खरीद में पिछड़ गया था जिला

मुंगेर के किसान सरकार के पास गेहूं बेचने में दिलचस्पी नहीं लेते हैं. वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए मुंगेर जिले को 5957 एमटी गेहूं खरीद का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन मात्र 27.5 एमटी ही गेहूं की खरीद हो पायी थी. पिछले वर्ष भी गेहूं की अच्छी पैदावार जिले में हुई थी. लेकिन बिचौलिये और सरकारी उदासीनता के कारण किसान सरकार के पास गेहूं नहीं बेचने आये और बिचौलिया के माध्यम से व्यापारियों के हाथ अपनी गेहूं के उपज को बेच दिया. विभाग की मानें तो पिछले वर्ष गेहूं खरीद में पिछ़ड़ने के कारण ही मुंगेर जिला को लक्ष्य मात्र 1915 एमटी दिया है. पूरी संभावना है कि इस बार भी मुंगेर गेहूं खरीद में पिछड़ जायेगा.

कहते हैं अधिकारी

जिला सहकारिता पदाधिकारी नवीन मोहन प्रसाद ने कहा कि अब तक मात्र 13 किसानों से 9.100 एमटी ही गेहूं की खरीद हो सकी है. जबकि किसानों को लगातार गेहूं पैक्स व व्यापार मंडल केंद्र पर बेचने के लिए जागरूक किया गया. 15 जून तक गेहूं की सरकारी स्तर से खरीद होनी है.

गेहूं खरीद की प्रखंडवार स्थिति

प्रखंड पैक्स व व्यापार मंडल किसान गेहूं खरीद

असरगंज 01 01 0.500 एमटी

बरियारपुर 02 01 0.500 एमटी

धरहरा 09 02 1.000 एमटी

हवेली खड़गपुर 18 02 1.700 एमटी

जमालपुर 02 01 0.800 एमटी

संग्रामपुर 03 01 0.500 एमटी

तारापुर 09 02 2.000 एमटी

टेटियाबंबर 07 03 2.100 एमटी

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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