संग्रामपुर. नगर पंचायत संग्रामपुर के लक्ष्मीपुर स्थित वैष्णवी चैती दुर्गा मंदिर में रामनवमी के अवसर पर आयोजित नौ दिवसीय श्री शिव महापुराण कथा के छठे दिन शुक्रवार को श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. कथावाचक रामजी भाई शास्त्री ने जालंधर राक्षस वध का मार्मिक प्रसंग सुनाया. जिसे सुन उपस्थित श्रद्धालु भावविभोर हो उठे. कथावाचक ने कहा कि जालंधर नामक राक्षस अपने बल और अहंकार से समस्त देवताओं और संतजनों को सताने लगा. तब सभी देवता भगवान शंकर की शरण में पहुंचे. भगवान शंकर ने राक्षस से युद्ध किया. लेकिन वे भी उसे परास्त न कर सके. तब भगवान विष्णु ने ध्यानमग्न होकर जाना कि जालंधर की शक्ति उसकी पतिव्रता पत्नी वृंदा से प्राप्त हो रही है. विष्णु ने छलपूर्वक जालंधर का रूप धारण कर वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग किया, जिससे राक्षस की शक्ति क्षीण हुई. तत्पश्चात भगवान शंकर ने उसका वध कर दिया. कथावाचक ने यह भी बताया कि यही जालंधर राक्षस अगले जन्म में रावण के रूप में जन्म लिया और वृंदा ही मंदोदरी बनी. इस प्रसंग के माध्यम से उन्होंने धर्म, नारी शक्ति और ईश्वर की लीलाओं की व्याख्या की. कथा के उपरांत भव्य झांकी के साथ विधिपूर्वक तुलसी विवाह का आयोजन किया गया. उन्होंने तुलसी विवाह के महत्व को समझाया कि यह केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि श्रद्धा, समर्पण और आत्मिक उन्नति का प्रतीक है. इस पावन विवाह में भाग लेने से वैवाहिक सुख, धन-समृद्धि और आध्यात्मिक लाभ की प्राप्ति होती है. कथा के सफल संचालन में ग्रामीण विपिन बिहारी सिंह, राज किशोर सिंह, शशि प्रकाश चौहान, अवधेश सिंह, विभूति सिंह, दीपक सिंह, प्रमोद सिंह, विनय सिंह, प्रकाश यादव, मुन्ना यादव, राणा ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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