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बकरीद को लेकर बाजार तैयार, जोर पकड़ा बकरों की खरीदारी

ईद-उल-अजहा (बकरीद) इस्लाम के प्रमुख त्योहारों में से एक है. जो अल्लाह के प्रति पूर्ण निष्ठा और बलिदान का प्रतीक है. मुंगेर में 6 अथवा 7 जून को बकरीद का पर्व मनाया जायेगा.

मुंगेर. ईद-उल-अजहा (बकरीद) इस्लाम के प्रमुख त्योहारों में से एक है. जो अल्लाह के प्रति पूर्ण निष्ठा और बलिदान का प्रतीक है. मुंगेर में 6 अथवा 7 जून को बकरीद का पर्व मनाया जायेगा. एक ओर बकरीद को लेकर बाजार जहां तैयार है, वहीं मुस्लिम धर्मावलंबियों ने खरीदारी भी शुरू कर दी है. इधर, बकरीद को लेकर बकरों के बाजार में भी रौनक बढ़ गयी है और जमकर खरीदारी भी शुरू हो गयी है.

नीलम चौक व पूरबसराय में बकरों की मंडी में बढ़ी रौनक

बकरीद का त्योहार नजदीक आ चुका है. हर शहर और गांव में कुर्बानी के लिए बकरों की खरीदारी जोरों पर है. इसबार बाजार में खास देखभाल और पोषण पर पाले गए बकरे मौजूद हैं. खगड़िया, बेगूसराय सहित अन्य जिलों से व्यापारी बकरों को लेकर मंडी में बिक्री के लिए रखा है. मुंगेर का नीलम चौक(शहीद अब्दुल हमीद चौक) बकरों की मंडी के लिए मशहूर है. यहां सुबह और शाम में बकरों की बोली लगती है. 8 हजार से लेकर 50 हजार तब का बकरा यहां उपलब्ध है. यहां शाम में मंडी सजती है जो देर रात तक चलती है. इधर, पूरबसराय मस्जिद के पास भी बकरों की मंडी है. जहां पर शाम में बकरों को बिक्री के लिए रखा जाता है. लोग अपने जेब के हिसाब से बकरों की खरीदारी कर रहे है. जिला मुख्यालय के इन दोनों मंडियों में प्रति दिन चार से पांच लाख के बकरों की बिक्री हो रही है. बकरा विक्रेताओं की माने तो 5 जून से मंडी में तेजी आ जायेगी. जो बकरा आज 600 रुपये किलो बिक रहा है, वह सीधे 700 रुपये किलो हो जायेगा. इस बार बकरों की मंडी में तेजी आने की उम्मीद है.

अल्लाह के प्रति निष्ठा और पूर्ण समर्पण को दर्शाता है बकरीद

इस्लाम धर्म की मान्यता के अनुसार, बकरीद अल्लाह के प्रति निष्ठा और पूर्ण समर्पण जताने के लिए मनायी जाती है. यह कुर्बानी का त्योहार है, इसमें अपनी किसी प्रिय चीज को अल्लाह को दे दिया जाता है. बकरीद का त्योहार पैगंबर इब्राहिम की कुर्बानी की याद में मनाया जाता है. इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, अल्लाह ने पैगंबर इब्राहिम की परीक्षा लेनी चाही. तब उन्होंने अल्लाह के प्रति अपना समर्पण दिखाते हुए अपने सबसे प्यारे बेटे इस्माइल को कुर्बान करने का फैसला किया. बताया जाता है कि जब इब्राहिम अपने बेटे को कुर्बान करने लगे तभी अल्लाह ने उनकी निष्ठा देखकर इस्माइल की जगह एक भेड़ भेज दिया और इस्माइल की जान बचा ली.

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