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बदहाली : एक्स-रे टेक्नीशियन कर रहे अल्ट्रासाउंड, पारामेडिकल कर्मी कर रहे ड्रेसिंग

मुंगेर सदर अस्पताल की व्यवस्था को सही करने के लिए जिलाधिकारी व प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक लगातार प्रयास कर रहे.

मुंगेर. मुंगेर सदर अस्पताल की व्यवस्था को सही करने के लिए जिलाधिकारी व प्रभारी अस्पताल उपाधीक्षक लगातार प्रयास कर रहे. इसके बावजूद यहां स्वास्थ्यकर्मियों की कमी अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ मरीजों के लिए परेशानी बढ़ा रही है. बीते दिनों विभाग द्वारा प्रतिनियुक्ति रद्द करने के आदेश के बाद अस्पताल में संचालित 12 वार्डों के लिए परिचारिकाओं (नर्सों) के स्वीकृत कुल 50 पद के विरुद्ध मात्र 33 परिचारिकाएं ही कार्यरत हैं, जबकि सालों से अल्ट्रासाउंड टेक्नीशियन व ड्रेसर नहीं होने के कारण जहां एक्स-रे ट्रेक्नीशियन मरीजों का अल्ट्रासाउंड जांच कर रहे. वहीं पारामेडिकल स्टूडेंट मरीजों की ड्रेसिंग कर रहे हैं.

पुरुष व महिला वार्ड में तैनात परिचारिकाओं पर बढ़ रहा दबाव

सदर अस्पताल में पुरुष, महिला, आइसीयू, एनआरसी, एनसीडी, पीकू, एसएनसीयू, एमसीएच, प्रसव केंद्र, ओटी, ओपीडी, टीकाकरण सहित कुल 12 वार्ड संचालित होते हैं. जहां परिचारिकाओं के कुल 50 पद स्वीकृत हैं, पर वर्तमान में मात्र 33 परिचारिकाएं ही कार्यरत है. इनके कंधों पर ही तीन शिफ्ट में इन 12 वार्डों के संचालन की जिम्मेदारी है. इतना ही नहीं पुरुष वार्ड में जहां सर्जिकल और मेडिकल सहित आइसोलेशन वार्ड का संचालन होता है. वहीं इनके कंधों पर कैदी वार्ड की जिम्मेदारी भी है. जो पुरुष वार्ड से काफी दूर एआरटी सेंटर में है. महिला वार्ड में इसके अतिरिक्त डेंगू वार्ड, परिवार नियोजन वार्ड तथा बर्न वार्ड का संचालन होता है. इन दोनों ही वार्डों में सबसे अधिक मरीज होने के बावजूद यहां प्रत्येक शिफ्ट में दो-दो परिचारिकाओं के भरोसे ही वार्ड का संचालन होता है. कई बार तो अवकाश की स्थिति में वार्डों का संचालन एक ही परिचारिका के भरोसे होता है. ऐसे में अब सदर अस्पताल के वार्डों में कार्यरत परिचारिकाएं दबाव में कार्य कर रही हैं.

इमरजेंसी वार्ड के लिए सबसे बड़ी मुसीबत

सदर अस्पताल में सबसे व्यस्त रहने वाला वार्ड इमरजेंसी वार्ड हैं. यहां सुबह से रात तक गन शॉट, एक्सीडेंट, मारपीट, पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपित समेत विभिन्न बीमारियों के गंभीर मरीजों के आने का सिलसिला लगा रहता है. अब ऐसे में यहां सबसे अधिक मरीजों की भीड़ होती है. इनके इलाज के लिए यहां प्रत्येक शिफ्ट में मात्र दो परिचारिकाएंं की कार्यरत हैं. इनके कंधों पर ही इन गंभीर मरीजों के इलाज की जिम्मेदारी है. वहीं कई बार भीड़ बढ़ने के कारण इन वार्डों में कार्य करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों को मरीजों व उनके परिजनों की नाराजगी झेलनी पड़ती है.

सालों से ड्रेसर का पद पड़ा है रिक्त

मुंगेर. सदर अस्पताल में स्वास्थ्य कर्मियों की कमी का हाल यह है कि यहां सालों से ड्रेसर का पद रिक्त पड़ा है. इसके कारण यहां पारामेडिकल स्टूडेंट ही मरीजों की ड्रेसिंग करते हैं. इमरजेंसी वार्ड में भी दो परिचारिकाओं के कंधों पर जिम्मेदारी होने के कारण पारामेडिकल स्टूडेंट ही आमतौर पर ड्रेसिंग करते हैं. इतना ही नहीं सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच तो होती है, लेकिन अल्ट्रासाउंड जांच तकनीशियन नहीं होने के कारण यहां एक्स-रे टेक्नीशियन ही मरीजों की अल्ट्रासाउंड जांच कर रहे हैं.

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डाॅ विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि सदर अस्पताल में चिकित्सकों एवं स्वास्थ्यकर्मियों की कमी है. हालांकि उपलब्ध चिकित्सक व कर्मियों द्वारा मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. रिक्त पदों की सूची विभाग को भेजी गयी है.

मरीज का ईसीजी कराने भटकते रहे परिजन

मुंगेर. सदर अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे ही है. इसका उदाहरण सोमवार को सदर अस्पताल में देखने को मिला. जहां एक 70 वर्षीय वृद्ध मरीज के परिजन उनका ईसीजी कराने कभी इमरजेंसी, तो कभी ओपीडी का चक्कर लगाते रहे. हालांकि तीन बार चक्कर लगाने के बाद इमरजेंसी वार्ड के चिकित्सक डाॅ अनुराग के आदेश पर इमरजेंसी के मेडिकल स्टाफ ने मरीज की इसीजी की. बताया गया कि कौड़ा मैदान निवासी 70 वर्षीय अभिमन्यु कुमार को सोमवार की सुबह अचानक बीपी कम हो जाने पर इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया. प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें मेल वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. वार्ड में राउंड लगाने आये चिकित्सक ने मरीज का ईसीजी कराने की बात लिखी. परिजनों को बताया गया कि ओपीडी में संचालित एनसीडी में ईसीजी होगी. परिजन एनसीडी पहुंचे. जहां स्वास्थ्य कर्मी ने इमरजेंसी वार्ड में ईसीजी होने की बात कहकर वापस भेज दिया गया. तीन बार इमरजेंसी से ओपीडी का चक्कर लगाने के बाद आखिरकार डाॅ अनुराग ने मरीज की इमरजेंसी वार्ड में ईसीजी जांच करायी.

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