जान जोखिम में डालकर बच्चे करतें हैं पढ़ाई
प्रतिनिधि, अकबरपुर
बिहार सरकार जहां एक ओर शिक्षा में सुधार के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है, वहीं दूसरी ओर स्कूल भवनों की जर्जर स्थिति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय मस्तानगंज इसका उदाहरण है. जहां बच्चे जान जोखिम में डाल कर पढ़ाई करने को विवश हैं. स्कूल का भवन 15 साल से भी अधिक पुराना है. दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें हो गयीं हैं, प्लास्टर जगह-जगह से उखड़ चुका है और बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता रहता है. सीलन और नमी के कारण कमरों में पढ़ाई करना मुश्किल हो जाता है. विद्यालय के प्रधान शिक्षक निशांत कुमार ने बताया कि स्कूल भवन काफी जर्जर हो चुका है और बारिश में कभी भी गिरने की आशंका बनी रहती है. उन्होंने बताया कि कई बार मरम्मत और नये भवन की मांग की जा चुकी है, लेकिन, अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. स्थिति यह है कि कभी सैकड़ों बच्चों से गुलजार रहने वाला यह स्कूल अब 50-60 छात्रों तक सिमट गया है. जर्जर भवन को देखकर अभिभावक भी बच्चों को स्कूल भेजने से कतराते हैं. स्थानीय ग्रामीण दिनेश यादव, विजय कुमार, रेणु देवी और विद्यालय प्रबंधन ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द स्कूल भवन की मरम्मत या नये भवन का निर्माण कराया जाए, ताकि बच्चों को सुरक्षित माहौल में शिक्षा मिल सके.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है