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कंस वध व रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाकर भावविभोर हुए श्रद्धालु

अकबरपुर संगत परिसर में हो रहे शतचंडी यज्ञ का हो रहा आयोजन

अकबरपुर.

अकबरपुर संगत परिसर में हो रहे शतचंडी यज्ञ के दौरान कथा प्रवचिका परम पूज्य श्री प्रिया किशोरी ने प्रवचन के दौरान श्रीमद्भागवत कथा कही. इस दौरान शनिवार को रुक्मणि विवाह और कंस वध का प्रसंग सुनाया. प्रसंग सुनकर श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण के जयकारे लगाये. कथा प्रवचन करते हुए श्री प्रिया किशोरी महाराज ने बताया कि कंस के अत्याचार से जब पृथ्वी त्राहि-त्राहि करने लगी, तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे. तब भगवान कृष्ण अवतरित हुए. कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है. इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया. लेकिन, हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा. बाद में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिला दी. कथा वाचक ने कहा कि रुकमणी को माता लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. वह विदर्भ साम्राज्य की पुत्री थी, जो भगवान श्रीकृष्ण से विवाह करने को इच्छुक थी. लेकिन, रुकमणि जी के पिता व भाई इस विवाह से सहमत नहीं थे. इसके चलते उन्होंने रुकमणी के विवाह में जरासंध और शिशुपाल को भी आमंत्रित कर लिया. जैसे ही यह खबर रुकमणी को पता चली, तो उन्होंने दूत के माध्यम से अपने दिल की बात श्रीकृष्ण तक पहुंचायी. इसके बाद भगवान का उनके भाई और पिता से काफी युद्ध हुआ. अंततः श्री कृष्ण रुकमणी से विवाह करने में सफल रहे. मौके पर यज्ञ आयोजक महंत नेपाल बक्स दास, विक्रम बरनवाल, अजीत बरनवाल, सहदेव सोनकर, पप्पू साब आदि बड़ी संख्या महिला पुरुष श्रद्धालु लोग शामिल थे.

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