नवादा न्यूज : छठ व्रतियों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं हंडिया के भगवान सूर्य
नारदीगंज.
मंगलवार से चैती महापर्व छठ शुरू है. इस वैज्ञानिक युग में भी छठ प्रकृति पूजा का सर्वोत्तम उदाहरण है. प्रकृति संरक्षण और अपनी आस्था को जताने का अनोखा अवसर है. खासकर, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, बंगाल में महापर्व छठ धूमधाम से मनाया जाता है. सूर्योपासना के लिए देश के विभिन्न स्थानों पर समय-समय पर मंदिरों की स्थापना की गयी है. ऐसा ही एक अत्यंत प्राचीन सूर्य मंदिर बिहार के नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड के हंडिया गांव में है. यहां विभिन्न राज्यों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं. ऐसा प्रतीत होता है कि यह मंदिर धरती पर जीवन के प्रमुख स्रोत व संरक्षक के रूप में चिह्नित भगवान सूर्य के प्रति आस्था का निरंतर संचार करता रहा है. हंडिया के सूर्य नारायण मंदिर को द्वापर युगीन संरचना मना जाता है. इसकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई है. रोगमुक्ति और वंश प्राप्ति के लिए लोग इस मंदिर में आते हैं और यहां पूजा-अर्चना करते हैं. मनोकामना पूर्ण होने पर मुंडन संस्कार भी करने आते हैं. इस मंदिर के गर्भगृह में सात घोड़ों के रथ पर सवार भगवान भास्कर के काले पत्थरों से निर्मित प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है. मान्यता है कि द्वापर युग में मगध सम्राट जरासंध की पुत्री राजकुमारी धन्यवाती इस स्थल पर सूर्यनारायण की पूजा करने आती थी. ऐसी धारणा है कि एक बार धन्यवती भी कुष्ट रोग से पीड़ित हो गयी थी. इससे मुक्ति के लिए हंडिया सूर्य नारायण मंदिर के पास स्थित तालाब में प्रतिदिन स्नान करके सूर्यनारायण की पूजा-अर्चना करती थी. इस मंदिर में उपासना करने से कुष्ठ रोग से मुक्ति मिल गयी थी.हर रविवार को पहुंचे हैं रोगी
यहां हर रविवार को बड़ी संख्या में विभिन्न रोगों से पीड़ित लोग पहुंचते हैं. यहां के सरोवर में स्नान करने मात्र से ही कुष्ट जैसे असाध्य रोग भी ठीक हो जाते हैं. चैती छठ व कार्तिक छठ में काफी संख्या में छठ व्रती पहुंचे हैं. स्थानीय लोग पूरे आयोजन की देखरेख करते हैं. छठ व्रती को कोई दिक्कत न हो, इसका पूरा ख्याल रखते हैं. छठ व्रतियों के साथ आये परिजनों के रहने व सहने की सारी व्यवस्था करते हैं. व्यवस्थापक संतोष कुमार, पूजा समिति के अध्यक्ष रौशन कुमार, अभिषेक कुमार, अविनाश कुमार, विकास कुमार, रवि कुमार, कौशल कुमार छठ पूजा के दौरान सभी प्रकार की व्यवस्था करते हैं.पांच में से तीन चापाकल खराब
ग्रामीण लोग कहते हैं कि प्रशासनिक अनदेखी के कारण छठ व्रतियों और उनके साथ आये परिजनों के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. यहां आठ चापाकल लगे हैं, लेकिन चालू स्थिति में सिर्फ पांच हैं, तीन चापाकल खराब है. ग्रामीणों के द्वारा नल-जल की व्यवस्था की गयी है. लोगों ने बताया कि प्रशासन की ओर से चलंत शौचालय की व्यवस्था हो जाती, तो बेहतर होता. बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले आदि भी लगाये गये हैं. अध्यक्ष रौशन कुमार ने बताया कि मंदिर के पास छठ व्रतियों के ठहरने के लिए बड़ी धर्मशाला की आवश्यकता है. छोटी दो धर्मशाला है. वह भी जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गयी है. यदि समय के साथ मरम्मत नहीं की जाती है, तो वह भी बहुत जल्द गिरने लगेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है