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Lok Sabha Election 2024: नवादा में लड़ाई भाजपा बनाम राजद, लेकिन निर्दलीय विनोद यादव बने बड़ा फैक्टर

Lok Sabha Election 2024 मुद्दा तो जाति और जमात ही है, लेकिन मोदी और विकास भी बड़ा फैक्टर है, जो अंतिम समय में जाति और जमात पर भारी पड़ सकता है

नवादा से लौटकर कैलाशपति मिश्र

Lok Sabha Election 2024 श्रीबाबू की जन्मस्थली और संपूर्ण क्रांति के जनक जेपी की कर्मस्थली नवादा विकास के पैमाने में देश के पिछड़े आकांक्षी जिलों में शामिल है. नवादा लोकसभा सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को चुनाव होना है. सभी प्रत्याशी दिन-रात एक किये हुए हैं. एनडीए की तरफ से भाजपा के प्रत्याशी विवेक ठाकुर और महागठबंधन की ओर से राजद के श्रवण कुशवाहा वोटर का समर्थन पाने के लिए विशेष रणनीति पर काम कर रहे हैं. दोनों ओर से जीत के दावे-प्रति दावे किये जा रहे हैं. निर्दलीय प्रत्याशी और बसपा जैसी पार्टी के उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जो संघर्ष को त्रिकोणीय बना रहे हैं. माहौल शांत है, चुनाव प्रचार की गाड़ी भी इक्का-दुक्का ही दिखाई पड़ती है. कहीं झंडा-बैनर नहीं दिख रहा है. वोटर भी खामौश हैं. चुनाव के बारे में कुरेदेने पर वे जात-जमात और अस्तित्व का तर्क देते हैं. यहां की चुनावी लड़ाई में बालू और गिट्टी की लड़ाई भी जुड़ी है.

चाय की दुकान में चुनावी चर्चा, सबके अपने-अपने तर्क

नवादा के प्रजातंत्र चौक पर चाय की दुकान पर चुनावी चर्चा चल रही है. यहां बैठे सुधीर कुमार बताते हैं कि चुनाव को लेकर कुछ खास उत्साह नहीं दिखाई दे रहा है. यहां जात-जमात और अस्तित्व को लेकर चुनाव लड़ा जा रहा है. विकास कोई मुद्दा नहीं है. एनडीए प्रत्याशी मोदी नाम केवलम की बात कर रहे हैं, तो महागठबंधन के प्रत्याशी राजद नेता तेजस्वी यादव के काम पर वोट मांग रहे हैं. साथ ही चाय पी रहे राजेश सिंह कहते हैं- नवादा में जाति और जातीय समीकरण से ही जीत-हार का फैसला होता है. भाजपा उम्मीदवार भूमिहार वर्ग से हैं. वे भूमिहार, अन्य सवर्ण जातियां, अति पिछड़ा और दलित वोटर को एकजुट करने में लगे हैं.

राजद उम्मीदवार कुशवाहा वर्ग से आते हैं. यहां कुशवाहा वोटरों की भी ठीक-ठाक संख्या है और वे माइ समीकरण के साथ-साथ पिछड़ा और अति पिछड़ा को जोड़ने के प्रयास में हैं. बगल में चाय की चुस्की ले रहे मोहन यादव कहते हैं कि यहां वर्ग विशेष के अस्तित्व की भी लड़ाई है. बालू और गिट्टी पर अधिकार की भी लड़ाई है. यहां महागठबंधन पक्ष के यादव वोटर यादव के अतिरिक्त किसी और को नहीं जीतने देगा. राजवल्लभ के भाई के चुनाव में आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है. करीब एक घंटे के बाद सड़क से निर्दलीय उम्मीवार की प्रचार गाड़ी गुजरती है. लाउडस्पीकर से आवाजी आती है. मतदाताओं को प्रमाण,… सोच समझकर वोट करना है, अपने भाई विनोद यादव को जीतना है..

बंद शुगर मिल पर कोई नहीं करता चर्चा

वारिसलीगंज में गेहूं की दौनी कर रहे सुखदेव से लोकसभा चुनाव के बारे में पूछने पर कहते हैं- बाबू हमलोगों को चुनाव-उनाव से क्या लेना देना है. किसान हैंं, दिन रात कड़ी मेहनत करते हैं तब जाकर कहीं गुजर बसर हो पाता है. बहुत कुरेदने पर बताते हैं कि चुनाव में बंद वारिसलीगंज चीनी मिल की बात होनी चाहिए, लेकिन किसी पार्टी के एजेंडा में यह नहीं है. होगी भी क्यों? जब वोट जात-पात होता है. उन्होंने बताया कि भाजपा वालों को कहो तो वे किसान सम्मान निधि की बात करते हैं. दूसरी पार्टी की बात ही कुछ और है.

हिसुआ में फर्नीचर का काम करने वाले कमल वर्मा कहते हैं कि अभी मुद्दा तो जाति और जमात ही है, लेकिन मोदी और विकास भी बड़ा फैक्टर है, जो अंतिम समय में जाति और जमात पर भारी पड़ सकता है. वहीं, सुनील यादव कहते हैं कि यहां के यादव वोटर लालू जी के साथ है.


राजद उम्मीदवार को अपनों से ही मिल रही है चुनौती

नवादा लोकसभा चुनाव में सब कुछ सामान्य नहीं है. राजद उम्मीदवार श्रवण कुशवाहा को विपक्ष के साथ-साथ अपनों से भी लड़ाई लड़नी पड़ रही है. नवादा के राजेश्वर राम कहते हैं कि राजवल्लभ की विधायक पत्नी विभा देवी, एक और विधायक पार्टी लाइन से अलग हटकर विनोद यादव के पक्ष में चुनाव प्रचार में लगे हैं. उन्होंने कहा कि नवादा की सड़कों पर चलने वाले ऑटो रिक्शा जो अधिकांश एक जाति विशेष के हैं, उस पर विनाेद यादव का झंडा बैनर देख सकते हैं. वहीं,भोजपुरी गायक गुंजन सिंह के साथ युवाओं की टोली घूम रही है. वे भाजपा के प्रत्याशी विवेक ठाकुर की जाति से आते हैं. हालांकि भूमिहार जाति के ही कुमार सर्वेश ने कहा कि गुंजन का कोई खास प्रभाव नहीं है.

आठ प्रत्याशी हैं चुनावी मैदान में

नवादा में कुल आठ प्रत्याशी मैदान में हैं. इस लोकसभा क्षेत्र में 20 लाख 6124 मतदाता हैं, जिनमें 10 लाख 45 हजार 788 पुरुष और 962186 महिला मतदाता हैं. 150 थर्ड जेंडर भी हैं. नवादा लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत छह विधानसभा सीटें आती हैं, जिनमें तीन पर राजद के विधायक हैं. एक-एक पर भाजपा, कांग्रेस और जदयू के विधायक हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन के लोजपा के चंदन सिंह ने राजद की उम्मीदवार विभा देवी को डेढ़ लाख मतों के अंतर से हराया था. पिछले तीन बार से भाजपा या भाजपा समर्थित उम्मीदवार चुनाव जीत रहे हैं. 2009 में भोला प्रसाद चुनाव जीते थे, जबकि 2014 में गिरीराज सिंह ने यहां से बाजी मारी थी.

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RajeshKumar Ojha
RajeshKumar Ojha
Senior Journalist with more than 20 years of experience in reporting for Print & Digital.

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