अकबरपुर.
डॉ आंबेडकर समग्र सेवा अभियान के तहत महादलित टोला खानपुर, रतनपुर, शादीपुर, बरहोरी, शाहपुर, दाहो बिगहा, बाला बिगहा, नया नगर और असमा में विकास शिविर लगाये गये. इन शिविरों में लोगों ने अपनी समस्याएं बतायीं. 23 योजनाओं के लिए आवेदन जमा किये गये. राशन कार्ड के लिए 17, जन्म प्रमाणपत्र के लिए सात, भूमि बंदोबस्ती और जॉब कार्ड के लिए 1-1 आवेदन लिये गये. स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगाये गये कैंप में करीब 70 लोगों की जांच की गयी. उन्हें दवा दी गयी और सलाह भी दी गयी. लेकिन, शिविरों में जरूरी सुविधाएं नहीं दी गयी. तय खर्च के अनुसार फ्लैक्स प्रिंटिंग पर 1000 रुपये, टेंट पर 3500 रुपये प्रति टोला, दरी पर 200 रुपये, टेबल पर 200 रुपये, कुर्सी पर 200 रुपये, माइक पर 1000 रुपये, पानी पर 150 रुपये, बिस्कुट पर 15 रुपये प्रति परिवार (3 लोगों के लिए), रिप्रेशमेंट पर 50 रुपये प्रति व्यक्ति खर्च होना था, लेकिन अकबरपुर प्रखंड के किसी भी शिविर में ये व्यवस्था नहीं की गयी. शादीपुर शिविर में महिला प्रवेक्षिका रीता कुमारी ने बताया कि सिर्फ दो टेबल और पांच कुर्सियां दी गयीं. कहीं, स्कूल में तो कहीं सामुदायिक भवन में किसी तरह शिविर लगाये गये. खानपुर शिविर प्रभारी संजय कुमार ने बताया कि पंचायत सचिव, राजस्व कर्मचारी, टोला सेवक, आवास सहायक, पंचायत रोजगार सेवक, किसान सलाहकार, जीविका, आरोग्य मित्र, ममता कार्यकर्ता, गैस वेंडर, नल-जल पंप ऑपरेटर, पंचायत तकनीकी सहायक, स्कूल के प्रधानाध्यापक और डाटा एंट्री ऑपरेटर को शिविर में मौजूद रहने का आदेश था. लेकिन कोई भी मौजूद नहीं रहा. इससे यह प्रतीत होता है विकास शिविर के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है और सरकार द्वारा दिये जा रही सुविधाओं का बंदरबांट किया जा रहा है. शिविर के लिए प्रचार प्रसार का भी काफी अभाव देखा गया. इसके कारण लोग शिविरों में नहीं पहुंच रहे हैं. और सरकार द्वारा लगायें गये शिविर पूरी तरह फ्लाॅप साबित हो रहा है. अगर डीएम ने इन शिविरों की जांच करायी तो सच्चाई कुछ और ही निकलेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है