मजार पर चादरपोशी करते हैं अकीदतमंद, तो शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं शिवभक्त
हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बरेव का धार्मिक स्थलप्रतिनिधि, अकबरपुर.
अकबरपुर प्रखंड की बरेव पंचायत में गांधी चौक और पानी टंकी के समीप एक अनोखा धार्मिक स्थल है. यह स्थल सैकड़ों वर्षों से हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक बना हुआ है. इस परिसर में एक ओर प्राचीन शिवलिंग स्थापित है, तो दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय की आस्था से जुड़ी मजार मौजूद है. दोनों धर्मों के श्रद्धालु एक साथ आकर अपनी-अपनी परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना और इबादत करते हैं. स्थानीय लोगों के अनुसार, यह शिवलिंग मुगलकाल से यहां विराजमान है. मान्यता है कि कई बार शिवलिंग को बंगाल की खाड़ी में विसर्जित किया गया, पर हर बार यह पुनः उक्त स्थान पर प्रकट हो गया. इस चमत्कारी घटना ने क्षेत्रवासियों की आस्था को और भी मजबूत कर दिया. आज यह स्थान न सिर्फ बरेव, बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी आस्था का केंद्र बन चुका है. श्रावण मास में प्रतिदिन सैकड़ों श्रद्धालु शिवलिंग पर जलाभिषेक और बेलपत्र अर्पित करते हैं. वे भोलेनाथ की आराधना करते हैं. सावन के सोमवार और महाशिवरात्रि पर यहां विशाल मेला भी लगता है. इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं.यहां हर कामना होती है पूरी पूर्व मुखिया संतोष सिंह बताते हैं कि बाबा भोलेनाथ की महिमा अपरंपार है. यहां जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नतें मांगते हैं, उसकी कामनाएं अवश्य पूरी होती हैं. पुजारी जसमंत पांडे कहते हैं कि सावन के महीने में श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ जाती है. हर कोई भगवान शिव पर जल और बेलपत्र चढ़ाकर अपनी मनोकामनाएं पूर्ण होने की प्रार्थना करता है. इस परिसर की सबसे खास बात यह है कि हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग पूरी आस्था के साथ आते हैं. मजार पर चादरपोशी और फातिहा के लिए मुस्लिम समुदाय के लोग आते हैं, तो शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए हिंदू श्रद्धालु उमड़ते हैं. सरपंच विजय तिवारी बताते हैं कि यह स्थान हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की जीवंत मिसाल है. यहां वर्षों से सभी धर्मों के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और पूजा करते हैंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है