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पॉक्सो मामले में भी पुलिस नहीं दिखा रही संवेदनशीलता, लगायी फटकार

Nawada news. इन दिनों बिना साक्ष्य और अनुसंधान जांच में गिरफ्तार करने का आरोप जिले के पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवालिया निशान लगा रहा है. इसको लेकर पुलिस को न्यायालय में फजीहत का सामना करना पड़ रहा है.

पुलिस अधिकारियों को नियमों को अवगत करायें एसपी : विशेष न्यायाधीश पुलिस की लापरवाही के कई मामलों में कोर्ट लगा चुका है फटकार पॉक्सो कोर्ट ने पुलिस अवर निरीक्षक अलका कुमारी को लगायी फटकार, संवेदनशील होकर काम करने का दिया आदेश फोटो कैप्शन- व्यवहार न्यायालय का फाइल फोटो प्रतिनिधि, नवादा कार्यालय इन दिनों बिना साक्ष्य और अनुसंधान जांच में गिरफ्तार करने का आरोप जिले के पुलिस की कार्यशैली पर लगातार सवालिया निशान लगा रहा है. इसको लेकर पुलिस को न्यायालय में फजीहत का सामना करना पड़ रहा हैं. एक मामला समाप्त होता नहीं कि दूसरे मामले में न्यायालय प्रश्नचिह्न खड़ा कर देता है. न्यायालय को केस की प्रति गंभीर नहीं होने और उदासीनता की वजह से कड़ा रुख अख्तियार करना पड़ रहा हैं. पीड़ितों को पुलिस से न्याय नहीं मिलने पर हर किसी की निगाहें न्यायालय पर जाकर टिक जाती हैं. हाल के दिनों में न्यायालय का भी पुलिस से भरोसा समाप्त होने लगा है. ऐसे में एक नहीं, कई पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध न केवल टिप्पणी, बल्कि वेतन रोकने से जुर्माने तक की सजा हो चुकी है. बावजूद पुलिस अधीक्षक का ध्यान इस ओर नहीं जा पा रहा है. ऐसे में पुलिस की मनमानी चरम पर है. इसी प्रकार का एक ताजा मामला एक बार फिर सामने आया है. पर्याप्त साक्ष्य के बिना 50 वर्षीया महिला को गिरफ्तार कर जेल भेजने पर अदालत में पेश किये जाने पर अदालत ने अनुसंधानकर्ता पर कड़ी टिप्पणी की और गिरफ्तार महिला को बंधपत्र पर मुक्त कर दिया. मामला मुफस्सिल थाना कांड संख्या-58/25 से जुड़ा है. जानकारी के अनुसार, अनुसंधान के क्रम में समाय गांव निवासी उर्मिला देवी को अनुसंधानकर्ता अलका कुमारी ने गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया. जेल भेजने के पूर्व चीफ एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने न्यायाधीश का ध्यान आकृष्ट करते हुए बताया कि अनुसंधानकर्ता ने केवल खानापूर्ति करते हुए बिना किसी साक्ष्य एवं आधार के उर्मिला देवी को पेश किया है और उक्त महिला के मौलिक अधिकार का हनन किया गया है. इस संबंध में पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी ने अनुसंधानकर्ता अलका कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया कि केवल पर्यवेक्ष्ण टिप्पणी के आधार पर गिरफ्तार किया गया है. अनुसंधानकर्ता ने अदालत को यह भी बताया कि अनुसंधान में उर्मिला देवी के संलिप्तता का साक्ष्य नहीं है. पूरे मामले को न्यायाधीश ने काफी गंभीरता से लिया तथा पुअनि अलका कुमारी को निर्देश दिया कि पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज मामले में संवेदनशील रहें. पर्याप्त आधारों के बिना किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत नहीं करें. न्यायाधीश ने आदेश की प्रति एसपी को भेजते हुए अनुसंधानकर्ता अलका कुमारी को पोक्सो से संबंधित मामले की संवेदनशीलता से अवगत कराने को कहा, ताकि ऐसी घटना की पुनरावृति नहीं हो सके. अदालत ने गिरफ्तार महिला को बंध पत्र पर मुक्त कर दिया. अब एसपी की जिम्मेदारी है कि वे इस प्रकार के मामलों पर सजग रहें, ताकि पुलिस की गरिमा को बरकरार रखा जा सके.

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