जिले में 87,604.4 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य है निर्धारित
धान की रोपनी पर संकट, आसमान की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं किसानप्रतिनिधि, नवादा नगर
जिले में पिछले 10 दिनों से बारिश नहीं होने के कारण किसान गहरे संकट की ओर बढ़ते दिख रहे हैं. जिले के अधिकांश हिस्सों में धान की रोपनी का कार्य या तो अधूरा रह गया है या शुरू ही नहीं हो पाया है. लगातार हो रही तीखी धूप से जहां धान के पौधे झुलसने के कगार पर हैं, वहीं जुताई कर रखे गये खेतों का कादो सूखने लगा है. किसान अब आसमान की ओर उम्मीद भरी नजरों से देख रहे हैं, लेकिन कृषि मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल अच्छी बारिश की कोई ठोस संभावना नजर नहीं आ रही है. इस साल नवादा जिले में कृषि विभाग द्वारा 87,604.4 हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिले भर में अब तक 8,760.4 हेक्टेयर क्षेत्र में बिचड़ा लगाया गया है, जो रोपाई के लिए तैयार है. लेकिन बारिश नहीं होने और पानी की कमी से धान की रोपनी बाधित हो रही है. किसान बताते हैं कि अगर जल्द बारिश नहीं हुई, तो हालात सूखे जैसे हो सकते हैं.सूख रहे पौधे व बिचड़ा, किसान चिंतित
रोहणी नक्षत्र में जिन किसानों ने धान के बिचड़े डाले थे, वे अब चिंतित हैं. कई किसानों ने मोटर व डीजल पंप के सहारे खेतों में सिंचाई कर रोपनी की, लेकिन कड़ी धूप और सूखते खेत देखकर अब वे भी हताश हैं. किसान मनोज सिंह, बिपिन सिंह, उदय कुमार, मनोज महतो आदि का कहना है कि यदि अगले कुछ दिनों में अच्छी बारिश नहीं हुई, तो पहले से लगाये गये पौधे सूख सकते हैं और जिन खेतों में अब तक रोपनी नहीं हुई, वहां यह कार्य हो ही नहीं पायेगा. इससे किसानों की पूंजी डूबने की आशंका है और वे अन्न के एक-एक दाने को तरस सकते हैं.
बारिश के बिना धान की रोपनी संभव नहीं
जिले में नहरों की स्थिति भी अच्छी नहीं है. अधिकतर नहरों में पर्याप्त पानी नहीं है, जिससे वैकल्पिक सिंचाई संभव नहीं हो पा रही है. जिले के कई क्षेत्रों में खेतों की जुताई हो चुकी है. किसान अब केवल बारिश का इंतजार कर रहे हैं. बारिश के बिना धान की रोपनी संभव नहीं है. खेती पूरी तरह मॉनसून पर निर्भर है और जुलाई माह की बारिश विशेष रूप से निर्णायक होती है. बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें, तो जून माह में जिले में औसतन 160.0 मिमी वर्षा दर्ज की गयी, जबकि जुलाई माह में सा जुलाई तक मात्र 48.6 मिमी वर्षा हुई है. सामान्य जुलाई वर्षापात 261.6 मिमी होना चाहिए. प्रखंडवार वर्षा की बात करें, तो सबसे अधिक बारिश कौआकोल 261.4 मिमी में हुई है, जबकि सबसे कम बारिश काशीचक (61.4 मिमी) में दर्ज की गयी है.पर्याप्त वर्षा की संभावना कम : कृषि वैज्ञानिक
कृषि मौसम वैज्ञानिक रौशन कुमार ने बताया कि जुलाई में कहीं-कहीं हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन किसानों की आवश्यकता के अनुसार पर्याप्त वर्षा की संभावना फिलहाल कम है. उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे अपने खेतों को तैयार रखें, क्योंकि जैसे ही अच्छी वर्षा होगी, खेत कादो करने योग्य हो जाएंगे और रोपनी कार्य तुरंत शुरू किया जा सकेगा. उन्होंने यह भी कहा कि अच्छी उपज के लिए समय पर फसल लगाना आवश्यक होता है. कुल मिलाकर, नवादा जिले में मानसून की अनिश्चितता ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. जहां एक ओर खेत तैयार हैं, बिचड़े भी रोपनी के लिए तैयार हैं, वहीं बारिश की कमी ने सारी योजनाओं पर पानी फेर दिया है. अब देखना यह है कि मानसून कब किसानों की उम्मीदों पर खरा उतरता है.
जून महीने तक हुई प्रखंड वार वर्षा के आंकड़े
प्रखंड वर्षा मिलीमीटर में
अकबरपुर 231.6गोविंदपुर 200.4
हिसुआ 144.0काशीचक 61.4
कौआकोल 261.4मेस्कोर 160.8
नारदीगंज 243.6नरहट 118.4
पकरिवारावां 185.4रजौली 257.0
रोह 112.6सिरदला 177.8
वारिसलीगंज 75.4नवादा 198.4
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