केवल प्रतिक्षालय में बना है एक शौचालय,खुले में टॉयलेट करने को मजबूर यात्री
प्रतिनिधि, नवादा नगर
नवादा रेलवे स्टेशन का नया भवन दो जुलाई 2024 को धूमधाम से उद्घाटित हुआ था. एक साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन अब तक स्टेशन पर शौचालय और पेशाब घर जैसी मूलभूत सुविधाएं यात्रियों को नसीब नहीं हुई है. यह समस्या अब गंभीर बन चुकी है, खासकर महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के लिए. हर दिन हजारों यात्री इस स्टेशन से गुजरते हैं. हाल के दिनों में कांवर यात्रा और सिपाही भर्ती परीक्षा के कारण स्टेशन पर भीड़ अत्यधिक बढ़ी है. लेकिन शौचालय नहीं होने के कारण यात्रियों को भारी मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है. महिलाएं और पुरुष खुले में शौच या पेशाब करने को मजबूर हैं, जिससे न केवल स्वच्छता और स्वास्थ्य को खतरा है, बल्कि मानवीय गरिमा भी आहत हो रही है. स्टेशन परिसर के बाहर के इलाकों में महिलाएं इधर-उधर छिपकर टॉयलेट करने की मजबूरी झेल रही हैं. वहीं पुरुष यात्री भी सार्वजनिक स्थानों पर पेशाब करते हुए दिखते हैं. यह नजारा किसी भी विकसित होती रेलवे व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है. स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और यात्रियों ने रेलवे प्रशासन से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है. इससे यात्रियों में नाराजगी है. साफ-सफाई के नाम पर रेलवे विभाग लाखों खर्च करता है, लेकिन स्टेशन पर शौचालय जैसी जरूरी सुविधा का नहीं होना प्रशासनिक लापरवाही का प्रमाण है. स्टेशन के चारों ओर गंदगी और दुर्गंध फैल रही है, जिससे यात्रियों को नाक पर रुमाल रखकर चलना पड़ता है. यह स्थिति न केवल शर्मनाक है, बल्कि स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी बढ़ा रही है.महिला यात्रियों के जुबानी
कांवड़ यात्रा में नवादा से ट्रेन पकड़नी थी, लेकिन टॉयलेट की कोई व्यवस्था नहीं मिली. हमें शर्मिंदगी उठानी पड़ी.रीता देवी यात्री, कौआकोल
कोलकाता जाने के लिए बच्चे के साथ आयी थी, लेकिन उसे टॉयलेट कराने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ा. स्टेशन पर इतनी बुनियादी सुविधा तक नहीं है.नाजिया खातून यात्री,हावड़ा
भागलपुर जाना है. स्टेशन बने इतने साल हो चुके है लेकिन शौचालय नहीं. महिलाओं की गरिमा का ख्याल क्यों नहीं रखा गया. कम से कम महिलाओ के लिए तत्काल शौचालय रेल प्रशासन को बना देना चाहिए.– अनिता देवी यात्री,फरहा
मैं परीक्षा देने आई थी, लेकिन मजबूरी में स्टेशन के बाहर झाड़ियों में जाना पड़ा. यह बहुत अपमानजनक अनुभव था. फुट ओवरब्रिज से पहले प्लेटफॉर्म पर शौचालय की जरूरत है.– पूनम सिंह, परीक्षार्थी यात्री
क्या कहते हैं स्थानीय लोग:
स्थानीय समाजसेवी रतन सिंह का कहना है कि रेलवे प्रशासन का ध्यान महज उद्घाटन समारोहों और सौंदर्यीकरण तक सीमित रह गया है. नवादा जैसे शहर में नया स्टेशन बनने के बावजूद यदि शौचालय जैसी सुविधा नहीं है, तो इसे साफतौर पर विकास का मजाक कहा जा सकता है. वहीं एक दुकानदार मनीष गुप्ता ने बताया कि हमारे पास रोज यात्री आकर पूछते हैं, और जब हम मना कर देते हैं तो वे नाराज हो जाते हैं. यह हमारी भी मुश्किल बढ़ा रही है. नवादा रेलवे स्टेशन पर शौचालय और पेशाब घर का नहीं होना रेलवे प्रशासन की गंभीर विफलता को उजागर करता है. यह न केवल यात्रियों की असुविधा का कारण है, बल्कि स्वच्छ भारत मिशन जैसी सरकारी योजना की भी उपेक्षा है. अब जरूरी है कि रेलवे तत्काल प्रभाव से इस दिशा में कार्रवाई करे, ताकि यात्रियों को राहत मिल सके और महिलाओं की गरिमा सुरक्षित रह सके.क्या कहते हैं अधिकारी:
जब इस संबंध में स्टेशन अधीक्षक से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि अभी शौचालय निर्माण का काम चल रहा है. बहुत जल्द शुरू हो जायेगा. प्रक्रिया जारी है.मुनेश्वर प्रसाद, स्टेशन मास्टरB
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है