नवादा न्यूज : महुआ फूल चुनने के कारण पेड़ों के नीचे स्थानीय लोग लगा दे रहे आग
रजौली.
प्रखंड के जंगली क्षेत्रों में हर वर्ष महुआ फूल चुनने को लेकर स्थानीय ग्रामीण महुआ के पेड़ों के नीचे आग लगा देते हैं. जंगल में एक पेड़ के नीचे लगायी गयी आग हवा के कारण बड़े क्षेत्र में फैल जाती है. जंगल में लगी आग के कारण वायु प्रदूषण वृहद पैमाने पर होता है. साथ ही आसपास के क्षेत्र में ऑक्सीजन लेवल कम जाने से जंगली जीवों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. गर्मी के मौसम में पेड़ों के पत्ते सूखकर जमीन पर एकत्रित हो जाते हैं, जो आग को तेजी से फैलाने का काम करते हैं. जंगल में लगी आग सड़कों तक पहुंच जाती है. इससे आने-जाने वाले वाहनों में आग लगने की प्रबल संभावना बन जाती है. रात में हवाओं के साथ धुआं धुंध में शामिल होकर शहरी क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है. इसके कारण सांसद लेने में लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि, सड़क के आसपास आग का फैलाव न हो, इसको लेकर फायर ऑफिसर राम अवध सिंह अग्निशामालय की टीम के सहयोग से लगातार कार्रवाई कर रहे हैं. वन कर्मियों द्वारा जंगल के आसपास बसे गांवों में जाकर लोगों को जागरूक किया जाता है कि जंगल में कभी भी आग नहीं लगानी चाहिए. क्योंकि, आग के कारण जंगली जीवों के साथ-साथ जंगल की हरियाली भी खत्म हो जाती है. वन कर्मियों की बातों का ग्रामीणों पर कमोबेश असर होता भी है. किंतु, झारखंड के रांची क्षेत्र से आये दर्जनों आदिवासी परिवारों पर किसी प्रकार का कोई असर नहीं होता है. ग्रामीण बताते हैं कि बीते 10 वर्षों से आदिवासियों का आगमन रजौली वन क्षेत्र में लगातार हो रहा है, जिनकी संख्या अभी सैकड़ों में पहुंच गयी है. आदिवासी जंगली जीवों को मारकर भोजन बनाते हैं एवं जंगल क्षेत्र का दोहन भी किया जा रहा है. आदिवासी समुदाय की महिलाएं एवं बच्चे शाम में ही महुआ के पेड़ के नीचे आग लगाकर छोड़ देते हैं और महुआ चुनने का काम सुबह में करते हैं. इन्हीं लोगों की मदद से जंगली क्षेत्र में सक्रिय माफिया दूरस्थ क्षेत्रों में अफीम की खेती कराते हैं. हालांकि, पुलिस बलों द्वारा कई लोगों के विरुद्ध कार्रवाई भी गयी है और गिरफ्तार कर जेल भी भेजा जा चुका है. इसके बावजूद जंगल क्षेत्र में रांची से आये अतिक्रमणकारियों का मनोबल बढ़ा हुआ है.क्या कहते हैं अधिकारी
इस बाबत डीएफओ नवादा श्रेष्ठ कुमार कृष्ण ने कहा कि 29 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में रजौली वन सेंचुरी है, जिसमें हिरण, सांभर, शाहिल, जंगली सुअर समेत अन्य कई प्रकार के जीव-जंतु रहते हैं. जंगल में अतिक्रमण कर चुके लोगों को पहले भी हटाया गया है और बीपीएलइ एक्ट के तहत दर्जनों लोगों पर कार्रवाई भी की गयी है. वन क्षेत्र में बनी झोपडी आदि को भी ध्वस्त किया गया है. इस कार्रवाई में जिला प्रशासन का सहयोग अनिवार्य होता है. पुनः अतिक्रमण की सूचना मिली है, जिसको लेकर अग्रेतर कार्रवाई की जा रही है. साथ ही बताया कि महुआ चुनने को लेकर स्थानीय ग्रामीणों द्वारा जंगली क्षेत्रों में महुआ के पेड़ के नीचे छोटे क्षेत्र में आग लगायी जाती है और यही आग हवाओं के थपेड़ों के साथ जंगल क्षेत्र में फैल जाती है. इस दौरान कितने भू-भाग में आग लगी है, इसकी गणना मुश्किल है. डीएफओ ने जंगल के आसपास बसे लोगों से जंगल क्षेत्र में आग नहीं लगाने की अपील की है.जंगल में लगी आग की चपेट में आया था कंटेनर
रजौली की चितरकोली पंचायत के काराखुट मोड़ के समीप सोमवार की दोपहर तीन बजे ओड़िशा से डिजिटल जेनरेटर लेकर आ रहा कंटेनर ट्रक धू-धूकर जल गया था. पहाड़ी व जंगली क्षेत्रों में लगी आग सड़क के नजदीक पहुंच गयी थी. कंटेनर के पलटने से डीजल टैंक फट गया था और आग के कारण कंटेनर ट्रक संख्या एनएल01एजे0019 पूरी तरह जल गया था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है