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बिहार के इन विश्वविद्यालयों पर लटकी तलवार, शिक्षा विभाग ने मांगा जवाब, जानें क्या वजह

Bihar News: बिहार के सात विश्वविद्यालयों में 177 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है. बिना टेंडर खरीद, ऑडिट रिपोर्ट गायब और उपयोगिता प्रमाण पत्र न देने पर शिक्षा विभाग ने सख्ती दिखाई है. यदि एक सप्ताह में स्पष्टीकरण नहीं मिला, तो कड़ी कार्रवाई तय है.

Bihar News: बिहार के सात प्रमुख विश्वविद्यालयों में 177 करोड़ 38 लाख रुपये की वित्तीय अनियमितता का मामला सामने आया है. इन विश्वविद्यालयों ने न केवल वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन किया, बल्कि खर्च की गई राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र और ऑडिट रिपोर्ट भी प्रस्तुत नहीं की. इस खुलासे के बाद महालेखाकार (एजी) कार्यालय ने आपत्ति जताई है. शिक्षा विभाग ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी कुलसचिवों को निर्देश दिया है कि वे तत्काल इस गड़बड़ी पर स्पष्टीकरण दें.

शिक्षा विभाग के अनुसार, वित्तीय अनुशासन का पालन न करना और उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं देना एक गंभीर अनियमितता है. विभाग ने संकेत दिया है कि यदि तय समय में संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो इसे आर्थिक अपराध मानते हुए कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में सबसे बड़ी गड़बड़ी

इस पूरे मामले में सबसे बड़ी अनियमितता वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय (आरा) में सामने आई है, जहां 142 करोड़ 52 लाख रुपये की वित्तीय गड़बड़ी पाई गई. विश्वविद्यालय ने उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद बिना टेंडर और जेईएम पोर्टल प्रक्रिया के की, जिससे भारी भ्रष्टाचार का संदेह गहरा गया है. जब इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाब मांगा गया तो अब तक कोई अंकेक्षण रिपोर्ट पेश नहीं की गई.

BRABU और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय भी घेरे में

BRABU मुजफ्फरपुर में 3.70 करोड़ रुपये की राशि का उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं दिया गया. विश्वविद्यालय ने 1.10 करोड़ रुपये की उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद एक एजेंसी से की, लेकिन इस प्रक्रिया में नियमों का पालन नहीं किया गया.

इसी तरह, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय में भी 4.5 करोड़ रुपये की उत्तर पुस्तिकाओं की खरीद में गड़बड़ी पाई गई. विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस खरीद का कोई स्पष्ट विवरण नहीं दिया. इसके अलावा, 3 करोड़ 42 लाख रुपये के खर्च में से 2 करोड़ 72 लाख रुपये का कोई साक्ष्य अब तक शिक्षा विभाग को उपलब्ध नहीं कराया गया है.

अन्य विश्वविद्यालयों में भी वित्तीय लापरवाही

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय (दरभंगा) ने 1.45 करोड़ रुपये खर्च का कोई हिसाब नहीं दिया, जबकि कंप्यूटर खरीद में भी नियमों की अनदेखी की गई. कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय में 16.39 करोड़ रुपये बिना उचित वेतन सत्यापन के भुगतान कर दिए गए. तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय और बीएन मंडल विश्वविद्यालय (मधेपुरा) में भी करोड़ों रुपये की गड़बड़ी पाई गई, जिनका अभी तक कोई संतोषजनक विवरण नहीं मिला है.

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शिक्षा विभाग की सख्त चेतावनी

शिक्षा विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर एक सप्ताह के भीतर सभी विश्वविद्यालयों से अंकेक्षण रिपोर्ट और उपयोगिता प्रमाण पत्र नहीं मिले तो इसे आर्थिक अपराध मानते हुए संबंधित अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में शिक्षा विभाग किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं करेगा और दोषियों पर कानूनी शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है.

Anshuman Parashar
Anshuman Parashar
मैं अंशुमान पराशर पिछले एक वर्ष से पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हूं. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल बिहार टीम से जुड़ा हूं. बिहार से जुड़े सामाजिक, राजनीतिक, अपराध और जनसरोकार के विषयों पर लिखने में विशेष रुचि रखता हूं. तथ्यों की प्रमाणिकता और स्पष्ट प्रस्तुति को प्राथमिकता देता हूं.

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