Bihar News: पटना के संपतचक प्रखंड मुख्यालय से सटे कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय में बुधवार की सुबह उस वक्त हड़कंप मच गया, जब कक्षा छह की 23 छात्राएं अचानक छात्रावास से फरार हो गईं. इन बच्चियों में शिवरात्रि कुमारी, शिवानी कुमारी, रानी कुमारी, तनु कुमारी, निशा कुमारी और चांदनी कुमारी सहित कई अन्य शामिल थीं.
शुरुआती तौर पर यह बात सामने आई कि छात्राएं “भूत के डर” से भागीं, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, अफवाह की आड़ में छुपी एक गहरी सच्चाई सामने आने लगी विद्यालय में महीनों से न सुरक्षा गार्ड हैं, न रसोईया और न ही देखभाल के लिए कोई कर्मचारी.
डर के माहौल में रह रही हैं बच्चियां
कक्षा छह की छात्रा शिवरात्रि कुमारी ने बताया, “सभी लोग भाग रहे थे, तो मैं भी डर गई.” पर जब परिजनों ने पूछा कि भूत ने क्या किया या वह कहां था, तो कोई जवाब नहीं मिला। यही साबित करता है कि डर की जड़ें कहीं और थीं.
स्थानीय ग्रामीणों और प्रशासन ने माना कि यह ‘भूत की अफवाह’ थी, जिसने बच्चियों को भयभीत कर दिया. लेकिन असल में भय का कारण था विद्यालय की लचर व्यवस्था, जहां न तो निगरानी है, न सुरक्षा और न ही बुनियादी सुविधाएं.
बिना गार्ड, रसोईया और सहयोगी स्टाफ के चल रहा है स्कूल
विद्यालय की वार्डन ममता रानी ने बताया कि छात्रावास में लगभग 90 छात्राएं हैं. पिछले कई महीनों से कोई गार्ड नहीं है. जो तीन गार्ड तैनात थे, वे बीमार, पारिवारिक संकट या निजी कारणों से लगातार अनुपस्थित हैं. रसोईया की स्थिति भी भयावह है. एक बुजुर्ग महिला रसोई का काम देख रही थीं, जो हाल ही में छोड़ चुकी हैं. नतीजा ये कि बच्चियां खुद ही खाना बनाती हैं, बर्तन धोती हैं और साफ-सफाई भी करती हैं. वार्डन ने कहा कि कई बार शिक्षा विभाग को सूचना दी गई, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई.
अभिभावक की सतर्कता और पुलिस की तत्परता से सभी बच्चियां सकुशल बरामद
बच्चियों के भागने के बाद हड़कंप मच गया। मित्तनचक के पास एक अभिभावक ने भीड़ में अपनी बेटी को पहचाना और बातचीत के बाद सारी हकीकत सामने आ गई. सूचना मिलते ही गोपालपुर थाना पुलिस सक्रिय हुई और सभी छात्राओं को सुरक्षित वापस लाया गया. फिलहाल सभी बच्चियां छात्रावास में सुरक्षित हैं.
‘भूत’ की आड़ में डरावनी शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई
गुरुवार को जैसे ही खबर फैली, दर्जनों अभिभावक विद्यालय पहुंचे और कई तो अपनी बच्चियों को वापस ले जाने पर अड़ गए. उनका सवाल था कि बिना गार्ड, रसोईया और देखभाल के बच्चियां सुरक्षित कैसे रहेंगी? नौबतपुर से पहुंचे एक अभिभावक ने कहा, “यह सिर्फ भूत की अफवाह नहीं, बल्कि सरकारी व्यवस्था की असफलता का जीवंत उदाहरण है.”
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(पटना से अजीत यादव की रिपोर्ट)