संवाददाता, पटना : राजधानी को स्वच्छता सर्वेक्षण में थ्री स्टार रेटिंग मिल चुका है. अब फाइव स्टार रेटिंग के लिए नगर निगम ने तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए कई योजनाएं बनायी गयी हैं, जिन्हें धरातल पर उतारने की योजना है, खासकर ठोस कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. इसमें कचरे को घर या दुकान पर ही अलग करना और उसका सही तरीके से प्रोसेस करना शामिल है. शहर के अलग-अलग इलाकों में छह नये कचरा ट्रांसफर स्टेशन बनाये जायेंगे, जिससे कचरा उठाने व पहुंचाने का काम और बेहतर होगा. इसके अलावा बाजार समिति से निकलने वाले जैविक कचरे के लिए रोजाना पांच टन की क्षमता वाला बायोगैस प्लांट लगाया जायेगा. इन सभी कोशिशों का मकसद शहर को स्वच्छ व लोगों की जिंदगी को बेहतर बनाना है. वहीं, पुराने जमा कचरे को भी हटाने की योजना है. इसमें 12 लाख 23 हजार घन मीटर से अधिक कचरे की बायोमाइनिंग की जायेगी, ताकि जमीन को वापस इस्तेमाल लायक बनाया जा सके. यह करीब 7.33 लाख टन होगा.
कचरे से बिजली, गैस और खाद बनेगी
निगम एक बड़ी ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना लागू कर रहा है, जो पीपीपी मॉडल पर आधारित है. 514.59 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट का मकसद कचरे की प्रोसेसिंग और निबटान को बेहतर बनाना है. इसमें 1600 टन प्रतिदिन (टीपीडी) की क्षमता वाली सुविधा बनायी जा रही है, जिसमें 15 मेगावाट का प्लांट कचरे से बिजली बनायेगा. इसके अलावा 100 टीपीडी का बायो-मीथनेशन प्लांट जैविक कचरे से गैस बनायेगा और 700 टीपीडी का कंपोस्ट प्लांट कचरे से खाद तैयार करेगा. 250 टीपीडी की क्षमता वाले तीन मटेरियल रिकवरी फैसिलिटी केंद्र और एक 50 टीपीडी एमआरएफ भी लगाये जायेंगे, जो रिसाइक्लिंग योग्य कचरे को फिर से इस्तेमाल लायक बनायेंगे. यह योजना अगले 22 साल व छह महीने तक चलेगी और इसके तहत पटना समेत 11 अन्य शहरों का कचरा प्रबंधन होगा.
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