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World Pharmacist Day: बिहार में आठ हजार से अधिक फार्मासिस्ट बेरोजगार, 1539 की बहाली रद्द

World Pharmacist Day: विश्व फार्मासिस्ट दिवस हर साल 25 सितंबर को दुनिया भर में मनाया जाता है, जो चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में फार्मासिस्टों के अमूल्य योगदान के बारे में याद दिलाता है. इस वर्ष की विश्व फार्मासिस्ट दिवस की थीम फार्मासिस्ट वैश्विक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करना है.

World Pharmacist Day: पटना सहित पूरे बिहार की बात करें तो सूबे के फार्मासिस्ट स्वास्थ्य विभाग की उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं. यही वजह है कि वर्तमान में करीब आठ हजार से अधिक फार्मासिस्ट बेरोजगार घूम रहे हैं. इतना ही नहीं 1539 फार्मासिस्ट की बहाली रद्द कर दी गयी है. हालांकि हाल के दिनों 3637 रिक्त पड़े पदों पर स्वास्थ्य विभाग ने नियुक्ति करने का फैसला लिया है.

अप्रशिक्षित फार्मासिस्टों के भरोसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

प्रदेश में मरीजों के अनुपात में डॉक्टरों की भारी कमी है. ऐसे में यदि प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों के पद भी रिक्त हो तो गुणवत्तापूर्ण इलाज की आशा बेमानी है. शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सुदूर जिला के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों तक की सेहत बिगड़ी हुई है. इस पर आवश्यक दवा सूची के अनुसार अस्पतालों में दवाओं की संख्या बढ़ने से बिना प्रशिक्षित फार्मासिस्ट के न केवल उनके भंडारण, आमद व खपत का हिसाब रखते हुए हर तीन माह पर पोस्ट के माध्यम से बीएमएसआइसीएल से मंगवाने में चिकित्सा प्रभारियों के पसीने छूट रहे हैं. हालत यह है कि फॉर्मासिस्टों के अभाव में कई ग्रामीण अस्पतालों में दवाओं के उचित रखरखाव व मरीजों को दवा देने में अनदेखी की जा रही है.

विश्व फार्मासिस्ट दिवस का महत्व क्या है?

गार्डिनर रोड अस्पताल के अधीक्षक डॉ मनोज कुमार सिन्हा ने बताया कि विश्व फार्मासिस्ट दिवस अत्यधिक महत्वपूर्ण है. यह दिन हमें फार्मासिस्टों की स्वास्थ्य के क्षेत्र में भूमिका से अवगत करवाता है. यह दिन हमें बताता है कि फार्मासिस्ट फार्माकोलॉजी, फार्मास्यूटिकल्स की स्टडी करते है. फार्मासिस्ट उचित दवाओं को रोगियों तक पहुंचाने के लिए एक कड़ी की तरह कार्य करते हैं. वे डॉक्टरों और नर्सों के साथ मिलकर रोगियों की देखभाल का काम भी करते हैं.

हर साल क्यों मनाते हैं फार्मासिस्ट दिवस

विश्व के हर कोने में स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में फार्मासिस्ट की भूमिका को बढ़ावा देने और उसकी वकालत करने वाली गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए विश्व फार्मासिस्ट मनाने का सिलसिला शुरू किया गया. जानकारों के अनुसार फार्मासिस्ट का मूल कर्तव्य रोगियों को दवा देने से पहले चिकित्सकों के द्वारा मरीज के हित में बताएं सभी कार्यों व नुस्खों की जांच करना होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि रोगियों को गलत दवा न मिले या वे दवा की गलत खुराक न लें.

मामला फार्मासिस्ट की नियुक्ति का : नियमावली में संशोधन को लेकर रद्द हुई बहाली

पटना सहित पूरे बिहार के सरकारी अस्पतालों में फार्मासिस्ट की नियुक्ति के लिए 2018 में निर्देश जारी किया गया. लेकिन कुछ तकनीकी खामियां होने के कारण बाद में कोर्ट में सुनवाई हुई. इसमें बताया गया कि बहाली में उन्हीं अभ्यर्थियों को आवेदन योग्य माना गया था जो फार्मेसी में डिप्लोमाधारी हैं. न्यूनतम योग्यता डिप्लोमा की ही थी. इस कारण उच्चतम योग्यता बी.फार्मा डिग्रीधारियों को आवेदन देने से वंचित नहीं किया जा सकता है. सुनवाई के बाद 06 नवंबर 2019 को बिहार में रेगुलर फार्मासिस्ट बहाली मामले में प्रशासन को नये नियम लाने का निर्देश दिया गया. इसके बाद हाल ही में 3637 पदों पर नियुक्ति करने की तैयारी की गयी है.

– अरविंद कुमार, अध्यक्ष डिप्लोमा फार्मासिस्ट ऑर्गनाइजेशन, छात्र संघ बिहार.

फार्मासिस्टों के कुल 4356 सृजित पद में से सिर्फ 719 तैनात 

राज्य में 12 मेडिकल कॉलेज अस्पताल, अति विशिष्ट अस्पताल, जिला अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल समेत कई सरकारी स्तर पर अस्पताल संचालित हो रहे हैं. जबकि राज्य के फार्मासिस्टों के कुल 4356 सृजित पद में से सिर्फ 719 तैनात है, अभी भी राज्य में 3637 पद रिक्त है. ऐसे में जिन अस्पतालों में फार्मासिस्ट नहीं हैं वहां भगवान भरोसे ही दवाएं मरीजों को दी जा रही है. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग को चाहिए कि जल्द से जल्द बहाली करे.

– भारत भूषण, पारा मेडिकल एसोसिएशन ऑफ बिहार के प्रदेश अध्यक्ष.

बिहार में कितने सरकारी अस्पताल

  • सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल- 12
  • अति विशिष्ट अस्पताल- 4
  • जिला अस्पताल – 36
  • रेफरल अस्पताल – 67
  • अनुमंडलीय अस्पताल – 45
  • सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र – 256
  • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र – 533
  • स्वास्थ्य उपकेंद्र – 10 हजार 258
  • अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र – 1399

फार्मासिस्ट के कितने पद रिक्त

  • फार्मासिस्ट की अभी 3637 पद अभी रिक्त पद है
  • 2006 में 18 पदों पर बहाली हुई थी, आठ साल से एक भी पद पर भरे नहीं गए.

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रिटेल दवा दुकानें 46 हजार, वैध फार्मासिस्टों 7800

पटना सहित पूरे बिहार में अधिकांश रिटेल दवा दुकानें बिना वैध फार्मासिस्ट के संचालित की जा रही हैं. बिहार राज्य फार्मेसी काउंसिल में निबंधित फार्मासिस्टों की संख्या 28790 है, जबकि इनमें से सिर्फ 7800 फार्मासिस्ट ही अपने निबंधन का रिन्यूअल कराते हैं. फार्मेसी काउंसिल में रजिस्टर्ड और अपना निबंधन रिन्यूअल कराने वाले फार्मासिस्टों के माध्यम से ही रिटेल दवा दुकानों का संचालन वैध है. राज्य में निबंधित रिटेल दवा दुकानों की संख्या 46000 है. फार्मासिस्टों के अभाव में राज्य की 38000 रिटेल दवा दुकानें बिना फार्मासिस्टों के संचालित की जा रही हैं.

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Anand Shekhar
Anand Shekhar
Dedicated digital media journalist with more than 2 years of experience in Bihar. Started journey of journalism from Prabhat Khabar and currently working as Content Writer.

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