पटना.
महिला एवं बाल विकास निगम, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (सीएनएलयू) के जेंडर रिसोर्स सेंटर और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के संयुक्त प्रयास से 30 जून से चार जुलाई तक यौन उत्पीड़न की रोकथाम कानून (2013) पर पांच दिवसीय कार्यशाला आयोजित की गयी. इस ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर्स कार्यशाला का उद्देश्य कार्यस्थलों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की रोकथाम, निषेध और निवारण के लिए जिम्मेदार अधिकार कानून की जानकारी देना और उन्हें प्रशिक्षित करना था. इसमें बिहार के विभिन्न जिलों से आये लगभग 110 नोडल अधिकारी और जिला स्तरीय अधिकारी शामिल हुए. कार्यशाला में केस स्टडी और नाटक के जरिये यौन उत्पीड़न की रोकथाम कानून को समझाया गया. अधिवक्ता अंचल गुप्ता ने व्यावहारिक उदाहरणों से जानकारी दी, जबकि अधिवक्ता गंधाली ने नाटक के माध्यम से विषय को सरल तरीके से समझाया. अधिवक्ता विंदा ने यौन उत्पीड़न की रोकथाम मामलों की जांच प्रक्रिया और आंतरिक समितियों की भूमिका पर बात की. वहीं डॉ कीर्ति ने सालाना रिपोर्टिंग और अनुपालन की चुनौतियों पर चर्चा की. प्रो स्मिता झा ने बताया कि कार्यस्थल पर उत्पीड़न की जड़ें लिंग आधारित शक्ति असंतुलन में होती हैं और खासकर अल्पसंख्यक समूह इससे ज्यादा प्रभावित होते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है