Patna: पटना के मीठापुर ग्रिड में हालिया फॉल्ट और राजधानी में बिजली आपूर्ति की गंभीर समस्या के बाद बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड (BSPTCL) तकनीकी सुधार और संरचनात्मक मजबूती की दिशा में बड़े कदम उठा रही है. इसी क्रम में बीएसपीटीसीएल के प्रबंध निदेशक राहुल कुमार ने करबिगहिया स्थित 132/33 केवी ग्रिड सबस्टेशन का शनिवार को निरीक्षण कर भविष्य की तैयारियों का खाका खींचा.
निरीक्षण के दौरान एमडी ने करबिगहिया ग्रिड की लोड क्षमता, संचालन प्रणाली, शिफ्ट ड्यूटी और सुरक्षा प्रबंधन की गहन समीक्षा की. चूंकि यह ग्रिड राजधानी के केंद्रीय, वीआईपी और अत्यावश्यक संस्थानों को बिजली आपूर्ति करता है और इसका फिलहाल कोई वैकल्पिक स्रोत नहीं है, इसलिए इसे ‘संवेदनशील ग्रिड’ मानते हुए एमडी ने एक नए ग्रिड के निर्माण का प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए हैं. यह प्रस्ताव राजधानी को भविष्य में निर्बाध और स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में अहम भूमिका निभाएगा.
सभी ग्रिडों की होगी समीक्षा
आगामी योजना के तहत पटना के चारों अत्याधुनिक गैस इंसुलेटेड सिस्टम (जीआइएस ) ग्रिडों की तकनीकी समीक्षा भी की जाएगी. इसका उद्देश्य संभावित फॉल्ट की त्वरित पहचान और समाधान की व्यवस्था तैयार करना है ताकि मीठापुर जैसी स्थिति दोबारा न हो. इसके साथ ही एमडी ने राज्य भर के 161 ग्रिड सबस्टेशनों का तीन दिनों के भीतर निरीक्षण कराए जाने का आदेश दिया है. कार्यपालक अभियंता हर ग्रिड की तकनीकी स्थिति, क्षमता, सुरक्षा और संभावित कमजोरियों की समीक्षा कर तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित करेंगे.
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10 लाख लोग हुए थे प्रभावित
पटना में बीते बुधवार रात 10:30 बजे मीठापुर ग्रिड में आई बड़ी तकनीकी गड़बड़ी के कारण 2005 के बाद पहली बार लगभग 18 घंटे तक बिजली आपूर्ति बाधित रही. इस दौरान राजधानी के लगभग 10 लाख लोग भीषण गर्मी में अंधेरे में रहे. स्थिति की गंभीरता को देखते हुए ऊर्जा सचिव मनोज कुमार सिंह ने मामले की जांच के लिए एक विशेष टीम का गठन किया.
ग्रिड निर्माण करने वाली एजेंसी जीएआईएस को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया, जबकि प्रारंभिक जांच में असफल रही सीजीईएल कंपनी की स्थानीय टीम के स्थान पर नासिक से विशेष तकनीकी दल को बुलाया गया.
मीठापुर ग्रिड का निर्माण वर्ष 2023 में अत्याधुनिक गैस इंसुलेटेड प्रणाली पर किया गया था, जिसमें एसएफ-6 गैस चैंबर प्रणाली होती है. सूत्रों के अनुसार, इसी चैंबर में विस्फोट के कारण गैस रिसाव हुआ, जिससे पूरी केंद्रीकृत विद्युत आपूर्ति व्यवस्था ठप हो गई.
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