Voter List: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को लेकर घामासान मचा हुआ है. चुनाव आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण कहा रहा है. विपक्ष मजबूती से इस प्रक्रिया का विरोध करता दिख रहा है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुका है. गुरुवार को इस मामले में सुनवाई भी हुई. अब इसके विरोध में पटना हाई कोर्ट में भी याचिका दायर की गयी है. पटना हाई कोर्ट में दायर जनहित याचिका में मतदाता सत्यापन पर रोक लगाने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि चुनाय आयोग ने मतदाता बने रहने के लिए जो शर्तें रखी हैं, वह आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर हैं. इसके बावजूद मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा है.
आयोग को नागरिकता की जांच का अधिकार
पटना हाई कोर्ट में मतदाता सूची पुनरीक्षण के खिलाफ सत्यनारायण मदन और अन्य की तरफ से याचिका दायर की गयी है. साथ ही कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 5, 6 एवं 19 और 325, 326 के खिलाफ चुनाव आयोग ने जो शर्तें निर्धारित की हैं, वह उसके क्षेत्राधिकार में नहीं है. आयोग को नागरिकता की जांच का अधिकार नहीं है. एक बार जो मतदाता बन गया है उसे जांचकर सूची से नहीं हटाया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को दिये ये निर्देश
मतदाता पुनरीक्षण के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि वह वोटर लिस्ट रिवीजन के दौरान नागरिकता के सवालों में क्यों जा रहा है. शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि यह गृह मंत्रालय के क्षेत्राधिकार का मामला है. अदालत ने आयोग से 21 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. साथ ही, आधार, राशन कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेजों को भी मतसुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची का पुनरीक्षण (SIR) पर चुनाव आयोग को बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिहार में वोटर लिस्ट के सर्वे का काम जारी रहेगा. कोर्ट ने इस मामले में चुनाव आयोग से एक हफ्ते में जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को नोटिस जारी करते हुए सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई तय की है, तब तक चुनाव आयोग मतदाता सूची पुनरीक्षण का काम जारी रखेगा.
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