Bihar Budget: पटना. बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने बिहार सरकार की तरफ से प्रस्तुत बजट को ‘सरकारी पन्नों पर झूठ और जुमलों की स्याही’ से लिखा भाषण बताया है. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने सिर्फ भाषण पढ़ दिया है. तेजस्वी यादव ने सवाल उठाया कि जब राजस्व बढ़ नहीं रहा है तो यह बजट बढ़ कर 3.17 लाख रुपये का कैसे हो गया? उन्होंने इसे बढ़ा-चढ़ाकर प्रचारित किया गया बजट बताया. तेजस्वी ने यह बातें सोमवार को विधानमंडल परिसर में संवाददाताओं से चर्चा के दौरान कहीं. राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बजट में रोजगार और नौकरी की चर्चा नहीं की गयी. यह बजट कागजों पर ही सिमट कर रह जायेगा.
यह एनडीए का यह आखिरी बजट
नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि स्टेडियम बनाने वाली घोषणा पुरानी है. पिछले दस साल में किसी भी प्रखंड में एक ढंग का स्टेडियम नहीं बनाया गया है. तेजस्वी ने कहा कि एनडीए का यह आखिरी बजट है. राज्य में यह सरकार अब लौट कर नहीं आने वाली है. हमें बिहार की चिंता है और इन्हें कुर्सी और सरकार बचाने की चिंता है. उन्होंने राज्य सरकार से सवाल पूछा है कि वह बताए कि पिछले बजट के किसी प्रावधान को धरातल पर उतारा गया. कहा कि जमीनी सच्चाई यह है कि बिहार आधुनिक सुविधाओं तो दूर की बात अभी भी मूल भूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है.
कांग्रेस को लगा बजट उम्मीद के विपरीत
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अखिलेश प्रसाद सिंह ने वित्त मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा सोमवार को पेश बिहार के बजट को बेजान, बेअसरदार और उम्मीद के विपरीत बताया है. उन्होंने कहा कि चुनावी साल के बजट में उम्मीद थी कि इसमें रोजगार की बात होगी. मंहगाई कम करने की तात्कालिक कोशिश होगी. रोजगार, महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलिंडर, डीजल-पेट्रोल पर वैट घटाने और किसान के लिए एमएसपी की बात होगी. डबल इंजन की सरकार का यह आखिरी बजट है. इसलिए बड़ी उम्मीद थी कि बिहारवासियों को कम से कम मंहगाई और बेरोजगारी की मार से कुछ राहत मिलेगी.
सात निश्चय का कतरा भी बजट से गायब
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि मंहगाई को कम करने के बजाय यह सरकार तरकारी आउटलेट के जरिए मुनाफा कमाने की कोशिश में लग गयी है. इसके अलावा नीतीश के सात निश्चय का कतरा भी बजट से गायब है. उन्होंने कहा कि यह बात समझ में नहीं आ रही है कि करीब तीन लाख 17 हजार करोड़ का बजट पेश किया गया है और तीन लाख 32 हजार करोड़ का ऋण है तो ये पैसे कहां से आयेगा और कैसे चुकाया जायेगा. बजट को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया गया है. यह सब हवाबाजी है और कुछ नहीं है.
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