CM Nitish Kumar: बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सीएम नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए कई आयोगों के गठन की घोषणा की है. इसमें उच्च जाति आयोग, अनुसूचित जाति (SC) आयोग, महादलित आयोग और मछुआरा आयोग शामिल हैं. इन आयोगों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्तियों से पता चलता है कि नीतीश कुमार चुनाव से पहले सभी वर्गों को साधने की रणनीति पर काम कर रहे हैं.
इस आयोग पर सबसे ज्यादा चर्चा
सबसे अधिक चर्चा अनुसूचित जाति आयोग को लेकर हो रही है. इसके गठन में उन्होंने एनडीए के दो बड़े नेताओं- चिराग पासवान और जीतनराम मांझी को एक साथ साधने का प्रयास किया है. आयोग के अध्यक्ष बनाए गए मृणाल पासवान, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान के जीजा हैं. उपाध्यक्ष नियुक्त किए गए देवेंद्र मांझी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी के दामाद हैं. दोनों की इस नियुक्ति को एनडीए के भीतर संतुलन बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है.
आयोग के अन्य सदस्यों में राज्य के विभिन्न जिलों से प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है. इनमें नालंदा से संजय कुमार रविदास, पटना से रुबेल रविदास और अजीत कुमार चौधरी, औरंगाबाद से ललन राम, वैशाली से राम नरेश कुमार, भोजपुर से राम ईश्वर रजक और मुंगेर से मुकेश मांझी शामिल हैं. यह नियुक्ति सूची क्षेत्रीय और सामाजिक संतुलन को दिखाता है.
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देवेन्द्र को छोड़ना पड़ा था पद
देवेंद्र मांझी पहले तब सुर्खियों में आये थे जब जीतनराम मांझी ने उन्हें अपने निजी सहायक (पीए) के तौर पर नियुक्त किया था. उस समय राजनीतिक दबाव और विवाद बढ़ने पर उन्हें पद छोड़ना पड़ा था. लेकिन अब उनकी वापसी एक महत्वपूर्ण पद पर हुई है. इस नियक्ति के जरीय जीतनराम मांझी को भी बड़ा सियासी संदेश दिया गया है.
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बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे चिराग
इसी बीच चिराग पासवान ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. पार्टी सूत्रों के अनुसार इस बार वे विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. इसकी औपचारिक घोषणा अब तक नहीं की गई है. 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान की रणनीति ने एनडीए को काफी नुकसान पहुंचाया था. इस बार वे किस रणनीति के साथ मैदान में उतरेंगे यह देखना दिलचस्प होगा.