Bihar: बिहार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों की कनेक्टिविटी को मजबूत करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है. ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में राज्य में 14036 सड़कों को मंजूरी दी गई है, जिनकी कुल लंबाई 24,480 किलोमीटर है. वहीं, 2025-26 में अब तक 6484 किमी की स्वीकृति मिल चुकी है. अशोक चौधरी ने यह भी बताया कि एक नई पारदर्शी और प्रभावशाली कार्यप्रणाली लागू की गई है, जिससे निर्माण की गुणवत्ता बेहतर हुई है और सरकारी खर्च में लगभग 800 करोड़ रुपये की बचत हुई है.
छोटे ठेकेदारों को मिलेगा अधिक अवसर
सरकार ने टेंडरिंग प्रक्रिया को ग्लोबल नहीं, बल्कि नेशनल लेवल पर रखा है. ताकि स्थानीय ठेकेदारों को ज्यादा मौका मिल सके. अशोक चौधरी ने कहा कि प्रखंड और अनुमंडल स्तर तक छोटे ठेकेदारों को शामिल करने के लिए छोटे-छोटे पैकेज तैयार किए जा रहे हैं. इससे यह सुनिश्चित होगा कि स्थानीय प्रतिभाओं को लाभ मिले और कार्यों में अधिक पारदर्शिता बनी रहे.
7 साल की मेंटेनेंस नीति लागू
राज्य सरकार ने ग्रामीण सड़कों की दीर्घकालिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए 7 वर्षों की मेंटेनेंस नीति लागू की है. अब तक 18000 सड़कों को इस नीति के अंतर्गत लाया गया है. बीते दो महीनों में 464 पैकेज आवंटित किए गए हैं, जिनमें सड़कों की सात वर्षों तक नियमित देखभाल सुनिश्चित की जाएगी.
मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना की वापसी
नौ साल के अंतराल के बाद मुख्यमंत्री ग्रामीण सेतु योजना को दोबारा शुरू किया गया है. इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में पुलों और पुलियों के निर्माण में तेजी लाई जाएगी, जिससे लोगों को आवागमन में सुविधा मिलेगी और सड़कों की मजबूती भी बनी रहेगी.
टोलों तक सड़क पहुंचाने की मुहिम
सरकार का लक्ष्य है कि 100 से अधिक जनसंख्या वाले हर टोले को पक्की सड़कों से जोड़ा जाए. अब तक 5003 टोलों को जोड़ते हुए 6538 किमी लंबी सड़कें स्वीकृत की जा चुकी हैं. 1200 किमी अतिरिक्त सड़कों की स्वीकृति प्रक्रिया भी जारी है.
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फर्जी ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई
मंत्री ने बताया कि कुछ ठेकेदार फर्जी दस्तावेजों या ब्लैकलिस्टेड कंपनियों के माध्यम से टेंडर हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे मामलों पर विभाग गंभीरता से नजर रख रहा है और दोषियों के खिलाफ जल्द ही एफआईआर दर्ज की जाएगी. आगामी चुनावों को देखते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता है कि सभी स्वीकृत सड़कों का निर्माण कार्य चुनाव से पहले शुरू हो जाए, ताकि चुनावी प्रक्रिया के दौरान विकास कार्य बाधित न हों.
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