Patna Heavy Rain: बिहार की राजधानी में मानसून की जोरदार वापसी ने शहर की व्यवस्था की पोल खोल दी है. बीती रात से हो रही भारी बारिश के बाद पटना की सड़कों से लेकर घरों और सरकारी परिसरों तक में पानी भर गया है. शहर की प्रमुख सड़कें तालाब बन गई हैं, रेलवे ट्रैक पर पानी चढ़ गया है, और एयरपोर्ट पर उड़ान संचालन गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है. वहीं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का भी कटिहार का प्रोग्राम रद्द हो गया है.
रेल, हवाई सेवा और सड़क यातायात पर असर
पटना रेलवे स्टेशन के कई प्लेटफॉर्म्स पर पानी भर गया है, जिससे ट्रेनों की आवाजाही में बाधा उत्पन्न हुई है. वहीं जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर आधा दर्जन फ्लाइट्स लेट हो गई हैं. दिल्ली से पटना आने वाली फ्लाइट को दो बार रनवे पर उतरने से पहले चक्कर लगाना पड़ा. तेज बारिश के कारण एयरपोर्ट थाना क्षेत्र में एक पेड़ गिर गया जिससे यातायात में बाधा उत्पन्न हुई.
विजय कुमार सिन्हा के घर में भरा पानी
डिप्टी सीएम विजय कुमार सिन्हा के सरकारी आवास में भी बारिश का पानी घुस गया, जो इस मानसून की पहली ही तेज बारिश में नगर निगम की तैयारियों की हकीकत बयां कर रहा है.
शहर के अधिकांश इलाकों में जलभराव
अटल पथ, वीरचंद पटेल पथ, गोविंद मित्रा रोड, कंकरबाग, राजेंद्र नगर, किदवईपुरी, गर्दनीबाग, राजीव नगर, जीपीओ गोलंबर और शिव शक्ति नगर जैसे इलाकों में भारी जलजमाव की स्थिति बनी हुई है. वीरचंद पटेल पथ पर प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र की दीवार पर पेड़ गिरने की घटना भी सामने आई है. जेपी लेन, किदवईपुरी और राजेंद्र नगर में कई घरों के अंदर पानी घुस गया है, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है.

नगर निगम की नींद टूटी, पंपिंग सिस्टम फेल
शहर में बारिश के बाद पटना नगर निगम के अधिकारी और कर्मचारी सड़कों पर उतर गए हैं. कई इलाकों में पंप लगाकर जलनिकासी की जा रही है, लेकिन कई जगहों पर सिस्टम फेल होता दिख रहा है.
स्कूली बच्चों और आम लोगों की मुश्किलें बढ़ीं
जलजमाव के कारण बच्चों को स्कूल जाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ा. वहीं दफ्तर और अन्य जरूरी कामों के लिए घर से निकलने वाले लोग भी घंटों जाम और पानी से जूझते रहे. कई वाहन जलजमाव के कारण बीच सड़कों पर बंद हो गए, जिससे दुर्घटनाएं भी हुईं.

निगम की नाकामी पर उठे सवाल
पटना में मानसून की पहली ही जोरदार बारिश ने एक बार फिर नगर निगम की तैयारियों पर सवाल खड़े कर दिए हैं. जलनिकासी के बड़े-बड़े दावे जमीनी हकीकत के सामने फेल हो गए हैं. लोगों में गुस्सा है कि हर साल यही स्थिति बनती है लेकिन स्थायी समाधान नहीं होता.
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