Bihar News: सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल टैकिंग नेटवर्क सिस्टम) सूबे के 1380 पुलिस थानों से लेकर इनमे तैनात पुलिस कर्मियों को डिजिटल बना रहा है. इस प्रणाली का उपयोग करते हुए जहां अब तक 12.20 लाख से अधिक प्रथमिकियां दर्ज की गयी है, वहीं, 2.24 लाख से अधिक गिरफ्तारी मेमो जारी किये गये. इतना ही नहीं, बीते पांच वर्ष में 10 लाख से भी अधिक अपराधियों के डेटाबेस सीसीटीएनएस पर अपलोड किए गये है. यह डेटाबेस चेहरे की पहचान और गिरोह के विश्लेषण के आधार पर तैयार हुए है, जिनका उपयोग अपराधियों की पहचान, उनका आपराधिक इतिहास जानने, तेजी से गिरफ्तारी तथा अपराध से प्रभावी बचाव, पहचान व नियंतण के लिए किया जाता है.
तीन करोड़ से अधिक स्टेशन डायरियां दर्ज
जुलाई 2024 से तीन नये आपराधिक कानूनो के लागू होने के बाद सीसीटीएनएस की महत्ता बढ़ गयी है. अब स्टेशन डायरी से लेकर केस डायरी ऑनलाइन लिखा जाना अनिवार्य कर दिया गया है. बिहार पुलिस के आंकड़ो के मुताबिक सीसीटीएनएस के माध्यम से अब तक 3.24 करोड़ से अधिक स्टेशन डायरी जबकि 20 लाख से
अधिक केस डायरियां दर्ज की गयी है. साथ ही इसके माध्यम से तीन लाख चार्जशीट भी दायर हुए है.
एकीकृत न्यायिक व्यवस्था से जुड़े 894 पुलिस थाने
गृह विभाग के मुताबिक सीसीटीएनएस को अब ऑनलाइन न्यायिक व्यवस्था आइसीजेएस (इंटिगरेटेड क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम) से जोड़ा जा रहा है, ताकि सभी न्यायालय, जेल व फॉरेसिक प्रयोगशाला भी पुलिस थानों व पुलिस पदाधिकारियों से जुड़ जाएं. वर्तमान में 37 जिला न्यायालय, 42 अनुमंडल न्यायालय, 894 पुलिस थाने, 59 काराएं और तीन अपराध विज्ञान प्रयोगशालाएं आइसीजेएस से जुड़े हुए है. आइसीजेएस के सीसीटीएनएस से जुड़ने पर एफआईआर और चार्जशीट के मेटाडेटा तक न्यायालय की पहुंच हो सकती है.
राज्य में डायल 112 की सेवा शुरू
पुलिस को आम जनता तक पहुंचाने के लिए इमरजेसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम (ईआरएसएस) के तहत पूरे राज्य में डायल 112 की सेवा शुरू की गयी है. बिहार पुलिस के मुताबिक इस सेवा का इस्तेमाल करने वाले जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचने में पुलिस को अब औसतन मात्र 15 मिनट का समय लग रहा है. पहले यह सेवा अवधि 20 मिनट की थी. पुलिस मुख्यालय इस समयावधि को और कम करने के उपाय मे जुटा है.
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