Bihar News: बिहार और उत्तर प्रदेश सरकार अब शराब तस्करी पर नकेल कसने के लिए साझा रणनीति के तहत सख्त कदम उठाने जा रही हैं. दोनों राज्यों के मद्य निषेध अधिकारियों ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अहम बैठक की, जिसमें सीमावर्ती जिलों में शराब की अवैध आवाजाही को रोकने के लिए कई ठोस निर्णय लिये गए.
बैठक में बिहार के एडीजी, मद्य निषेध डॉ. अमित कुमार जैन, सचिव अजय यादव, आयुक्त सह महानिरीक्षक रजनीश कुमार सिंह और उत्तर प्रदेश के आबकारी आयुक्त डॉ. आदर्श सिंह सहित दोनों राज्यों के सीमावर्ती जिलों के अधिकारी शामिल हुए. चर्चा का मुख्य बिंदु था कि चुनावी वर्ष में बिहार की पूर्ण मद्य निषेध नीति को और प्रभावी कैसे बनाया जाए.
सीमावर्ती जिलों में बनाए जाएंगे चेक पोस्ट
बैठक में तय किया गया कि सीमावर्ती जिलों में संयुक्त चेक पोस्ट बनाए जाएंगे, जहां सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन, हैंड हेल्ड स्कैनर और स्निफर डॉग जैसी आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर निगरानी को और पुख्ता किया जाएगा. रेलवे, सड़क और नदी मार्गों से होने वाली शराब तस्करी पर विशेष निगरानी रखी जाएगी.
दोनों राज्यों के बीच है 1060 किलोमीटर लंबी सीमा
दोनों राज्यों के बीच साझा 1060 किलोमीटर लंबी सीमा को देखते हुए यह कदम बेहद अहम है. बिहार के आठ जिले- रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, सारण, सीवान, गोपालगंज और पश्चिम चंपारण और यूपी के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी, बलिया, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, महराजगंज जैसे जिले तस्करी के प्रमुख मार्ग माने जाते हैं.
आवाजाही पर रखी जाएगी पैनी नजर
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि शराब की दुकानों की 10 किलोमीटर की परिधि में खपत और आवाजाही पर पैनी नजर रखी जाएगी. साथ ही, शराब के अड्डों पर संयुक्त छापेमारी की जाएगी और तस्करी से जुड़ी सूचना का तुरंत आदान-प्रदान किया जाएगा.
जनवरी से मई 2025 के बीच बिहार में शराब के 64 तस्करी मामलों में एफआईआर दर्ज की गई, जिनमें से 25% में उत्तर प्रदेश निर्मित विदेशी शराब पाई गई. ऐसे में यूपी की संबंधित निर्माता कंपनियों के खिलाफ जांच और कड़ी कार्रवाई की सिफारिश भी की गई है.