Bihar: पटना जिले के मसौढ़ी अंचल से एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, जिसमें ‘डॉग बाबू’ के नाम से एक आवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया. इस घटना ने प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मचा दिया है. मामले के उजागर होने के बाद पटना जिला प्रशासन ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एक अधिकारी को निलंबित कर दिया है, जबकि एक आईटी सहायक को सेवा से मुक्त कर दिया गया है.
जांच में क्या पता चला
सरकार ने पटना जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एसएम को इस पूरे मामले की जांच सौंपी है. शुरुआती जांच में सामने आया है कि दिल्ली की एक महिला के आधार कार्ड का दुरुपयोग करते हुए 15 जुलाई को ऑनलाइन आवेदन किया गया था. बिना दस्तावेज सत्यापन के ही ‘डॉग बाबू’ के नाम से आवास प्रमाण-पत्र जारी कर दिया गया.
जांच में राजस्व अधिकारी और आईटी सहायक को दोषी पाया गया है. दोनों पर नियमों की अनदेखी, फर्जी डिजिटल हस्ताक्षर करने और कागजातों की अनदेखी करने का आरोप है. इसके अलावा, जिस महिला के आधार कार्ड का गलत इस्तेमाल हुआ है, उसे भी जांच के दायरे में लाया गया है.
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इन धाराओं में FIR दर्ज
डीएम के निर्देश पर राजस्व अधिकारी मुरारी चौहान को निलंबन की अनुशंसा की गई. वहीं, आईटी सहायक को तत्काल प्रभाव से सेवा से मुक्त कर दिया गया है. अज्ञात आवेदक और दोनों दोषी अधिकारियों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(2), 336(3), 338 और 340(2) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
फिलहाल, यह मामला पुलिस अनुसंधान में है. प्रशासन ने ‘डॉग बाबू’ के नाम से जारी आवास प्रमाण-पत्र को रद्द कर दिया है. बिहार प्रशासनिक सुधार मिशन सोसाइटी ने सभी जिला पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि NIC के सर्विस प्लस पोर्टल पर दस्तावेज सत्यापन की प्रक्रिया का सख्ती से पालन हो. जल्द ही इस पोर्टल पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की सहायता लेने की तैयारी भी की जा रही है.
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